नई दिल्ली : नीरव मोदी और विक्रम कोठारी के बाद अब जो मामला सामने आया है उसमें खुद पीएम मोदी के अधीन आने वाली सीबीआई पर उंगलियां उठ रही हैं. पीएनबी और बैंक ऑफ बड़ोदा के बाद ये 390 करोड़ रुपये का ये घोटाला ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का है. अरुण जेटली कह रहे हैं कि बैंकों को घोटाले के लिए ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए.
लेकिन इस केस में खुद मोदी जी के अधीन आने वाली सीबीआई शिकायत को बीते 6 महीने से दबाए बैठी रही . हालात ये कि घोटाले को अंजाम देने वाले लोगों ने इस बीच में जमकर लीपापोती की. यहां तक कि देश भई छोड़ गए. गुरुवार को सीबीआई ने करोल बाग स्थित द्वारका दास सेठ इंटरनैशनल के खिलाफ केस फाइल किया. यह कंपनी डायमंड, गोल्ड और सिल्वर जूलरी की मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग का काम करती है.
इस कंपनी ने ओबीसी की ग्रेटर कैलाश-II स्थित ब्रांच से 2007 में फॉरन लेटर ऑफ क्रेडिट, फॉरन हासिल करने के बाद कई तरह से लोन हासिल किया. इस कंपनी का संचालन सभ्य सेठ और रीता सेठ के हाथ में है, जो पंजाबी बाग के रहने वाले हैं. इसके अलावा कृष्ण कुमार सिंह और रवि कुमार सिंह भी इस कंपनी से जुड़े हैं, जो सराय काले खां के निवासी हैं. सीबीआई ने अपनी एफआईआर में इन सभी के नाम दर्ज किए हैं.
बैंक ने अपनी जांच के बाद दावा किया था कि सभ्य सेठ और कंपनी के अन्य डायरेक्टर्स को बीते 10 महीनों से उनके घरों पर नहीं पाया गया है. बैंक ने अपनी जांच में संदेह जताया है कि सभ्य सेठ भी नीरव मोदी और विजय माल्या की तरह भारत से भाग चुके हैं.
सरकारी क्षेत्र के बैंक ओबीसी ने 16 अगस्त, 2017 को सीबीआई से द्वारका दास सेठ इंटरनैशनल के खिलाफ शिकायत की थी. बैंक का दावा है कि द्वारका दास सेठ इंटरनैशनल ने लेटर ऑफ क्रेडिट के तहत कई क्रेडिट फैसिलिटीज का लाभ उठाया है.
देखते हैं सरकार इस मामले में किसे दोष देती है.