झांसी : बुंदेलखंड की गरीबी और परेशानी के किस्से रोज़ सुनाई पड़ते हैं. जब आबादी गरीब होती है तो सरकारी लोग तानाशाह और अकड़ू हो जाते हैं. ये उदाहरण झांसी का है जहां सरकारी डॉक्टरों ने अमानवीयता की सारी हदें पार कर दीं.
हालात इससे पहले कुछ कहें ये खबर जान लीजिए. कल यानि शनिवार को सुबह एक स्कूल बस हादसे की शिकार हो गई. इसमें हादसे में बस के नीचे दबने से घनश्याम नाम के क्लीनर के दोनों पैर कुचल गये और चार छात्राओं को मामूली चोटें आईं. नज़दीकी अस्पताल में इवाज के बाद क्लीनर को झांसी के मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया. यहां अस्पताल में क्लीनर को जब स्ट्रेचर पर ले जाया जा रहा था तो उसका कटा हुआ पैर तकिए की तरह सिर के नीचे लगा दिया गया. जब कुछ लोगों ने ये नज़ारा देखा तो हंगामा किया. उन्होंने फोटो भी सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया.
घायल व्यक्ति का बहनोई जानकी प्रसाद जब अस्पताल पहुंचा तो यह देख वह घबरा गया. उसने डॉक्टरों से कई बार पैर हटाने के लिए कहा, लेकिन पैर नहीं हटाया गया. आखिर में उसने स्वयं ही पैर हटाकर अलग रखा. जानकी प्रसाद ने इस संबंध में बताया कि हम जब हॉस्पिटल पहुंचे, तो मरीज के सिर के नीचे उसका ही पैर रखा हुआ था लगभग दो घंटे तक ये पैर रखा रहा. जब हमने तकिया लाकर दिया तब उन्होंने पैर को हटाया.
वॉर्ड में तैनात कर्मचारियों ने बताया कि मरीज को उसकी मां व पत्नी लेकर आयी थी. उन्होंने पैर को सिरहाने पर रखा था. कर्मचारियों ने उनसे कटा पैर हटाने को कहा, पर उन्होंने ऐसा नहीं करने दिया. बताया कि मेडिकल कॉलेज लाने के दौरान निजी अस्पताल के किसी कर्मचारी ने उनसे कह दिया था कि पैर जुड़ जायेगा, इसलिए वह कर्मचारियों को पैर हटाने नहीं दे रही थीं. शाम के समय अन्य परिवारीजन के सहयोग से वे मरीज को निजी अस्पातल ले गयीं.
जब तीमारदारों ने वहां देखा कि ऑपरेशन के बाद मरीज का पैर उसके सिरहाने पर तकिए के रूप में रखा है तो उन लोगों ने इस अमानवीयता का फोटो सोशल मीडिया और निजी चैनलों पर वायरल कर दिया. इसके बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने इसे गंभीरता से लिया. उन्होंने मेडिकल कॉलेज में कंसल्टेंट ऑन कॉल डॉ.प्रवीन सरावली को चार्जशीट जारी करने का आदेश दिया है, जबकि इमरजेंसी मेडिकल ऑफीसर डॉ.एमपी सिंह, सीनियर रेजीडेंट डॉ.आलोक अग्रवाल, सिस्टर इंचार्ज दीपा नारंग व नर्स शशि श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया गया है.
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने झांसी के पूर्व प्राचार्य डॉ.नरेंद्र सेंगर की अध्यक्षता में चार सीनियर डॉक्टरों को शामिल कर जांच समिति गठित कर दी है. समिति से दो दिन में रिपोर्ट मांगी गई है. चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.केके गुप्ता ने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. हालांकि पीडि़त परिवार मरीज को लेकर निजी अस्पताल चला गया.
मेडिकल कॉलेज की बेशर्मी देखिए . प्राचार्या को संवेदनशील होना चाहिए लेकिन वहां की प्राचार्य डॉ. साधना कौशिक उल्टे आरोप लगा रही हैं. उनका कहना है कि किसी ने जानबूझकर मरीज का कटा हुआ पैर उसके सिर के नीचे रखकर फोटो खींचकर वायरल कर मेडिकल कालेज की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है.