मोदी सरकार की नयी नीति हो सकता है भारत में इलाज को कई गुना महंगा कर दे. सरकार ने दुनियाभर की फार्माकंपनियों को चुनौती देने वाली भारतीय दवा कंपनियों को उनके दुश्मनों के ही रहमोकरम पर छोड़ दिया है. भारत अब तक दवा कंपनियों में विदेशी निवेश 49 फीसदी से ज्यादा की इजाजत नहीं देता था लेकिन अब ये सीमा बढ़ाकर 74 फीसदी कर दी गयी है. इसके अलावा सरकार की इजाजत से ये सीमा 100 फीसदी कर दी गई है.
दवा कंपनियां अब विदेशी दवाओं का फार्मूला कॉपी करके भारत में पेटेंट करा लेती थीं. ये दवाएं काफी सस्ती होती थीं. भारत से दुनियाभर के देशों में ये दवाएं भेजी जाती थीं इसके कारण पूरी दुनिया में गरीबों को मिलने वाली सस्ती दवाएं भारत में ही तैयार होती थीं. सरकार ने निवेश की सीमा बढ़ाकर विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय कंपनियों को खरीदने के रास्ते खोल दिए हैं. जानकारों को आशंका है कि भारतीय कंपनियों को उनसे बीसियों गुना बड़ी विदेशी कंपनियां खरीद लेंगी और उन्हें हड़पने के बाद दवाएं मनमाने दाम पर बेचेंगी . अमेरिका पहले भी यही चाहता था.