नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचने का दावा किया है. लेकिन सरकारी आंकड़े इस बारे में कुछ और ही कह रहे हैं. रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन (आरईसी) के अनुसार, अभी देश के सात करोड़ पांच लाख घरों तक बिजली पहुंचनी बाकी है. अगर सरकार के दावे के मुताबिक सभी गांवों में बिजली पहुंच भी गई होती तो भी ग्रामीण विद्युतीकरण की रफ्तार मनमोहन सरकार के मुकाबले ज्यादा नहीं थी.
2004 में जब मनमोहन सिंह ने गद्दी संभाली थी, तब 79% गांवों में बिजली थी। 10 साल में उन्होंने उसे 94% तक पहुंचाया था। यानी 1.5% सालाना। वर्तमान आंकड़ा भी वही है।
इस बारे में आरईसी के चीफ प्रोग्राम मैनेजर बिजय कुमार मोहंती ने जानकारी देते हुए कहा कि, “अब तक सात करोड़ पांच लाख घरों तक बिजली पहुंचना बाकी है. जिसे 2019 तक जल्द पूरा कर लिया जाएगा. बिजली कनेक्शन लेने की प्रक्रिया काफी सरल कर दी गई है.”
बता दें कि देश के सभी गांवों को रोशन करने के लिए केंद्र सरकार ने 75,893 करोड़ रुपए बजट रखा था. इसके अनुसार, हर घर में बिजली पहुंचने पर प्रति व्यक्ति 1200 किलोवाट की खपत देश में होगी.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्तर 2015 को लाल किले से 1000 दिन के अंदर देश के अंधेरे में डूबे 18 हजार से अधिक गांवों में बिजली पहुंचाने का ऐलान किया था. इसके लिए ख़ास दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना शुरू की गई थी. यह योजना लक्ष्य से पहले 987 दिन में ही पूरी हो गई.