पिछले कुछ दिनों में भारत में पोर्न देखने पर बैन लगाने की बात पर काफी कुछ लिखा जा चुका है. लेकिन सच यह है कि वेब के लोकप्रिय होने का एक बड़ा कारण पोर्न है. ये भी कहा जा सकता है कि भारत में अगर पोर्न न होता तो शायद नेट इतना बढ़ता ही नहीं, या फिर होता ही नहीं.
आंकड़े बताते हेै कि इंटरनेट के इस्तेमाल के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. भारत में 30 करोड़ से ज्यादा लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. इन आंकड़ों के बीच के सबसे अहम आंकड़े हैं पॉर्न से जुडे हुए. इंटरनेट का 60 प्रतिशत इंटरनेट ट्रैफिक पोर्न से जुड़ा हुआ है. भारत में गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च करने वाले शब्दों में पोर्न भी शामिल है. लेकिन हमारे पुरुष प्रधान समाज में अब भी महिलाओं की आवाज सुनने को नहीं मिलती. पोर्न को भारत में बैन किया जाए या नहीं, इस पर भी महिलाओं का मत हमें नहीं मिल रहा है.
महिलाओं का पॉर्न प्रेम भी भारत में बाकी दुनिया से 2 फीसदी ज्यादा है. विश्व की सबसे बड़ी एडल्ट वेबसाइट पोर्नहब के एक सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले रहे. इसके अनुसार भारत में पोर्न देखने वाली महिलाओं की संख्या बाकी दुनिया से ज्यादा है, भारत में 25 फीसदी औरतें पॉर्न देखती हैं जबकि बाकी दुनिया में 23 फीसदी.
अमेरिकी लेखक गेल डाइंस अपनी किताब‘पोर्नलैंड : हाउ पोर्न हैज हाइजैक्ड आवर सेक्सुअलिटी‘ में लिखा है कि पोर्नोग्राफी अब केवल मनोरंजन या रोमांच पैदा करने तक सीमित नहीं रही. यह अब महिलाओं और पुरुषों के सेक्सुअल व्यवहार के अंदर झांकने का भी साधन है.
हमें यह सवाल भी पूछना चाहिए कि महिलाओं की खुशी केवल पुरुषों की रजामंदी पर क्यों निर्भर है. क्यों ज्यादातर मर्द प्रेमी के तौर पर बिस्तर में अच्छे साबित नहीं होते?
सनी लियोन के भी आने से पहले इंटरनेट पर सविता भाभी नाम का एक कामुक पोर्नोग्राफीक कार्टून इंटरनेट पर काफी लोकप्रिय हुआ. इसमें अपने पति से निराश एक महिला अपनी लक्ष्मण रेखा पार करती दिखाई जाती है. सरकार को इस कार्टून पर 2009 में बैन लगाना पड़ा.
तो क्या यह पात्र भारतीय शादियों की असल कहानी कह रही थी? क्या सविता भाभी निराश भारतीय शादीशुदा महिलाओं का एक चरित्र पेश कर रही होती है, जो अपनी खुशी के लिए सेल्समैन और देवर को आकर्षित करने का प्रयास करती है.