दसवीं में नंबर कम आने पर तीन बच्चों ने आत्महत्या कर ली

नई दिल्ली : सरकार के पास बच्चों को देने के लिए शिक्षा नहीं है. कॉलेज नहीं हैं. स्कूल नहीं है. हालात ये हैं कि बच्चे नंबर की दौड़ में फंस गए हैं. वो आत्महत्या करने को मजबूर है. हालात ये हैं कि 70 फीसदी नंबर वालों को भी एडमिशन नहीं मिल पा रहा. दसवीं का रिजल्ट आने के बाद तीन बच्चों ने अकेले दिल्ली में आत्महत्या कर ली.

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उम्मीद के मुताबिक सीबीएसई 10वीं की परीक्षा में अंक नहीं आने पर राजधानी दिल्ली में तीन छात्रों ने मंगलवार को जान दे दी. वसंत कुंज नॉर्थ इलाके में दसवीं के परिणाम में कम अंक आने से नाखुश 15 साल की छात्रा प्रज्ञा पांडे ने खुदकुशी कर ली. प्रज्ञा रेयान इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा थी. प्रज्ञा के पिता प्रवर्तन निदेशालय में कार्यरत हैं.

परिजनों के अनुसार, वह डॉक्टर बनना चाहती थी इसलिए इस साल मेडिकल परीक्षा की तैयारी कराने वाले संस्थान में दाखिला भी ले लिया था. उसे उम्मीद थी कि दसवीं में उसके कम से कम 80 फीसदी अंक आएंगे लेकिन उसके 70 फीसदी अंक थे. प्रज्ञा को लगा कि अब वह विज्ञान की पढ़ाई नहीं कर पाएगी. दोपहर में प्रज्ञा ने खुद को कमरे में बंद कर लिया. जब छात्रा की मां ने दरवाजा खटखटाया तो उसने नहीं खोला. बाद में दरवाजा तोड़कर जब लोग अंदर गए तो देखा कि उसने फांसी लगा ली है. बाद परिजनों ने घटना की जानकारी पुलिस को दी.

2.
पश्चिमी दिल्ली के ककरौला गांव में निगम कर्मचारी के बेटे रोहित ने कम नंबर (59 फीसदी अंक) आने पर फांसी लगा आत्महत्या कर ली. हालांकि घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है. बताया जा रहा है कि दूसरे तल पर बने अपने कमरे में जाकर उसने चादर से फांसी लगा ली. पता चलने पर परिजनों ने उसे फंदे से उतार कर रॉकलैडं अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. आत्महत्या करने से पहले छात्र को उसके परिजनोंने कम नंबर लाने की बात पर डांट लगाई थी. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

3.
द्वारका के डाबड़ी इलाके में 16 साल की लड़की ने दो विषयों में फेल होने पर अपनी कलाई काट ली और फांसी लगा ली. पुलिस ने बताया कि जिस लड़की ने आत्महत्या की वह विज्ञान विज्ञान और गणित में पास नहीं कर सकी. इस घटना के बाद माता-पिता ने पुलिस को सूचित किया. अभी तक कोई आत्महत्या नोट नहीं मिला है.

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