नई दिल्ली : पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी के रूट पर वॉलीबॉल खेल रहे एक 15 साल के कर्लनल के बेटे को जब पुलिस ने बुरी तरह पीटा तो प्रधानमंत्री के रूट में लोगों को होने वाली परेशानी का मामला फिर चिंता का विषय बन गया. इस मामले ने उस पुराने प्रस्ताव को याद दिला दी जिसमें प्रधानमंत्री निवास 7 रेसकोर्स रोड से सफदरजंग एयरपोर्ट तक एक सुरंग बनाई जानी बनाई गई. इस सुरंग कंप्लीट होने के दो साल बाद भी प्रधानमंत्री के काफिले का इंतजार कर रही है. पीएम रूट के लिए इस्तेमाल नहीं करने का फैसला लिया जा चुका है.
प्रधानमंत्री के काफिले के लिए रूट लगने से आम पब्लिक के लिए ट्रैफिक रोकने की समस्या को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में इस टनल की प्लानिंग की गई थी. 2010 में इस टनल का निर्माण शुरू हुआ था और उन्हीं के शासन काल में चार साल बाद 2014 की शुरुआती महीनों में यह टनल बनकर कंप्लीट हो गई थी. करीब तीन किलोमीटर की इस टनल में अल्ट्रा-मॉडर्न तकनीकों का इस्तेमाल किया गया. यह टनल पीएम हाउस से शुरू होकर राजीव गांधी भवन की बैकसाइड में सफदरजंग एयरपोर्ट पर खुलती है. प्लान यह था कि प्रधानमंत्री को 7 आरसीआर से सड़क मार्ग से आईजीआई एयरपोर्ट तक ले जाने के बजाय उनका काफिला इस टनल से होते हुए अंडरग्राउंड मार्ग से सफदरजंग एयरपोर्ट तक जाएगा और वहां से पीएम हेलिकॉप्टर में आईजीआई एयरपोर्ट जाएंगे. इस तरह सड़क पर होने वाले ट्रैफिक डायवर्जन से बचा जा सकेगा.
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने तक टनल पूरी तरह तैयार हो चुकी थी. लेकिन अबतक टनल का इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है . सरकारी सूत्र इसके अलग अलग कारण बताते हैं लेकिन पब्लिक की परेशानी तो वैसी ही है.