भारत वीर गाथाओं का देश है , हम बड़ी बड़ी बातें करते हैं और अंदाज़ इतना फेंकू होता है कि लगता है कि दुनिया कदमों में डालने के लिए चुटकी भर का टाइम थोड़ा ज्यादा ही होगा . ओलंपिक के पहले भी यही हुआ, बड़ी बड़ी बातें हुईं और कहा गया कि नयी सरकार ओलंपिक में चमत्कार करने वाली है. इस फेंका फांकी के चक्कर में हम अपनी समस्याओं को अक्सर भूल जाते हैं. यही हमारी हार का कारण भी बनती हैं. चीनी मीडिया ने भारत की हार पर जो कहा है उससे आपका खून खौल जाएगा लेकिन जो कहा है वो है भी सही , मिर्ची तो लगेगी लेकिन जो कहा है वो है भी सच. हममें इसे लिखने की हिम्मत नहीं तो विदेशी मीडिया ही सही. इसलिए इसे पढ़ा जाना चाहिए…
ओलंपिक में भारत फिसड्डी क्यों है?
चीन की एक वेबसाइट टॉटिआओ डॉट कॉम ने लिखा है- भारत की आबादी 120 करोड़ है. और यह दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. लेकिन ओलंपिक मेडल की दौड़ में भारत सबसे पीछे है. 2012 में यह देश केवल छह मेडल हासिल कर सका. इसमें कोई भी गोल्ड मेडल नहीं था.
खिलाड़ी बेदम-बेजान हैं, क्यों कि …
1. ओलंपिक जैसे खेल आयोजनों में ऐसे प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह भारत में अमीरी और गरीबी के बीच बड़ी दरार है. गरीबों के लिए यहां अपनी जिंदगी जीना मुश्किल है. ऐसे में खेल के लिए अभ्यास की बात कौन करेगा. इसके अलावा सरकार भी खेलों के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर बहुत कम खर्च करती है.
2. भारतीय लोगों की जीवनशैली और संस्कृति भी इसकी जिम्मेदार है. क्योंकि यहां के ज्यादातर माता-पिता यही चाहते हैं कि उनकी संतान डॉक्टर या अकाउंटेंट बने. यहां के परिवार और पड़ोसी तक खेल प्रतिभाओं को बड़े-बड़े प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से रोकते हैं.
3. जाति व्यवस्था भी एक बड़ा कारण है. भारत में बड़ी संख्या में लोग छोटी जाति से ताल्लुक रखते हैं. उन्हें अच्छी शिक्षा के मौके नहीं मिल पाते और पौष्टिक आहार भी इनके लिए दूर की कौड़ी है.
4. चाइनापॉलिटिक्स डॉट ओआरजी के मुताबिक भारत के गांव में बसने वाले ज्यादातर लोग ओलंपिक के बारे में नहीं जानते. ये भी भारत की असफलता का बड़ा कारण है.
5. इस वेबसाइट के अनुसार शोधकर्ताओं ने कर्नाटक और राजस्थान के गांवों में इस बारे में शोध किया. उन्होंने गांव वालों से पूछा कि पिछले एक दशक में उन्होंने कौन सी सबसे अच्छी नौकरी के बारे में सुना है. राजस्थान में 300 से ज्यादा ग्रामीणों ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, वकील का नाम लिया. कुछ ने शिक्षक तो कई लोगों ने सेना की नौकरी को तरजीह दी. ज्यादा शिक्षित और संपन्न माने जाने वाले राज्य कर्नाटक में भी यही तस्वीर सामने आई. ओलंपिक भूल जाइए…खेलों का तो कहीं जिक्र भी नहीं था.
7. चीनी मीडिया के मुताबिक क्रिकेट की लोकप्रियता भी एक बड़ा कारण है. भारत में क्रिकेट को धर्म की तरह देखा जाता है. नतीजा ये कि ज्यादातर युवा दूसरे खेलों की ओर देखने का साहस भी नहीं कर पाते. इंडियंस क्रिकेट से बहुत प्यार करते हैं लेकिन ओलंपिक में क्रिकेट का खेल शामिल ही नहीं है.