उस बच्ची के लिए पूरी ज़िंदगी पड़ी थी, उसके मां बाप उसे ज़िंदगी की हर खुशी देना चाहते थे. उस दिन 15 अगस्त था. वो अपनी मुन्नी को पिक्चर दिखा कर ला रहे थे. बिटिया अचानक जि़द करने लगी कि वो हौण्डा सिटी की छत पर लगी रूफ विंडो से बाहर झांकना चाहती है. मौसम अच्छा था. 15 अगस्त को दिल्ली में मौसम वैसे भी सुहाना होता है. दिल्ली पूरी तरह जश्न के माहौल में थी, हर तरफ म्यूज़िक था और आसमान में रंग बिरंगी पतंगें उड़ रही थीं. अचानक उनकी बेटी चीखने लगी. गाड़ी चला रहे बाप को लगा कि बेटी खुशी से किलकारियां भर रही है। जब वह खून से लथपथ निढाल होकर गोद में गिरी तो मां बाप सन्न रह गए। मांझा उसकी गर्दन में फंसा था। फौरन अस्पताल लेकर भागे, लेकिन देर हो चुकी थी। मां बाप कुछ न कर सके. उनके हाथों में ही बच्ची की आंखें पत्थर हो गईं. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने मृत बताया।
बच्ची के पिता का लकड़ी का व्यवसाय है। दिपाली चौक के पास दिपाली कॉलोनी में रहते हैं। कल नारायणा से मूवी देखकर घर लौट रहे थे। हादसा करीब 7 बजे के आसपास हुआ। पुलिस के अनुसार, मृत बच्ची का नाम सांची गोयल है। उसके पिता आलोक गोयल ने बताया कि वह मूवी देखकर घर लौट रहे थे। रानी बाग की रोड नंबर 43 पर ये हादसा हुआ. उनकी बगल वाली सीट पर पत्नी बैठी थीं। कार से सांची का चेहरा नजर नहीं आ रहा था। जब वह खून से लथपथ उनकी गोद में गिरी तो हादसे का पता चला। उसकी गर्दन मांझे से बहुत गहरी कट चुकी थी। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने मृत बताया।
2016-08-16