राफेल विवाद पर पीएम मोदी की मुसीबतें बढ़ाकर फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद अब पल्टी मार रहे हैं. वो कह रहे हैं कि उन्हें इस डील के बारे में कुछ नहीं पता. भारत में मोदी के साथ करार पर दस्तखत करके गए ओलांद ने अपना बयान बदलते हुए कहा कि रिलायंस को चुने जाने के बारे में राफेल बनाने वाली दैसो कंपनी ही कुछ बता सकती है. ओलांद ने ही सितंबर 2016 में हुई राफेल डील पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हस्ताक्षर किए थे.
फ्रांसुआ ओलांद ने शनिवार शाम न्यूज एजेंसी एएफपी से कहा, ‘‘फ्रांस ने किसी भी तरह से रिलायंस को नहीं चुना.’’ क्या भारत सरकार की तरफ से यह दबाव था कि रिलायंस और दैसो को एकसाथ काम करना चाहिए? अब इस पर ओलांद ने कहा कि वे इस बारे में कुछ नहीं जानते. इस बारे में सिर्फ दैसो ही कमेंट कर सकती है.
ओलांद अपनी गर्लफ्रेंड की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी के बारे में भी सबकुछ भूल चुके हैं. उन्होंने कहा कि मुझे याद नहीं आता कि जूली गाए का किसी फिल्म प्रोडक्शन से संबंध है. लिहाजा, उस ग्रुप (रिलायंस) को किसी भी बात के लिए मेरा शुक्रिया अदा करने की जरूरत नहीं है.
जूली गाए ओलांद की करीबी और बिजनेस पार्टनर हैं. लेकिन उन्हें अब उसके बारे में भी कुछ याद नहीं रहा. ये भी नहीं कि उसने फिल्म बनाई. आपको पता होगा कि नॉकिंग न्यूज़ खबर दे चुका है कि कैसे अनिल अंबानी की रिलायंस एंटरटेनमेंट ने जूली की कंपनी रोग इंटरनेशनल के साथ एक फ्रेंच फिल्म बनाने को लेकर करार किया था.
दरअसल, अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट में बताया था कि 24 जनवरी 2016 को जब रिलायंस एंटरटेनमेंट ने रोग इंटरनेशनल के साथ करार किया था, तब ओलांद भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 36 राफेल एयरक्रॉफ्ट के लिए एक एमओयू साइन कर रहे थे.
24 घंटे पहले कहा था- रिलायंस के अलावा विकल्प नहीं था
शुक्रवार को एक इंटरव्यू में ओलांद ने कहा था- “फ्रांस के सामने इस रिलायंस का चुनाव करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. भारत सरकार के प्रस्ताव के बाद दैसो ने अनिल अंबानी के साथ डील को लेकर बात की.”
रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा था, “ओलांद के बयान की जांच की जा रही है. पहले ही कहा जा चुका है कि इस कमर्शियल फैसले में फ्रांस और भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं थी.” दैसो ने भी कहा कि एक अलग अनुबंध निजी कंपनियों के बीच हुआ है.
इस समझौते में राफेल विमानों के रखरखाव का जिम्मा भारत की कंपनियों को सौंपा जाना है. इसी के तहत दैसो एविएशन ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस के साथ समझौता किया. सरकार ने एचएएल के समझौते से बाहर होने की वजह यूपीए सरकार की नीतियों को बताया. लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि दैसो ने खुद तकनीक के ट्रांसफर की आशंका के चलते एचएएल के साथ समझौते से इनकार कर दिया था.