ये है इस ओलंपिक का सबसे बड़ी घटना. ओलंपिक से भी ज्यादा अहम और और बड़ा. इन दो खिलाड़ियों ने जो मैडल जीता है वो माइकल फेल्प्स और उसैन बोल्ट को सारे मैडल्स से बड़ा है. ओलंपिक मुकाबला किसी भी खिलाड़ी के लिए जिंदगी की सारी मेहनत और दर्द का नतीजा मिलने का मौका होता है लेकिन अगर कोई एथलीट इस मौके को ठुकरा दे और इन्सानियत के लिए मैडल को लात मार दे तो समझो उसने ओलंपिक नहीं ओलंपिक का पूरा इतिहास जीत लिया. रियो ओलंपिक की ये घटना ओलंपिक के इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी.
मामला महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ के क्वालिफ़ाइंग राउंड का है. अमरीका की एबे डिऑग्स्टीनो और न्यूज़ीलैंड की निक्की हैम्बलिन दौड़ते समय एक दूसरे से टकरा गईं. टक्कर से एबे गिर गईं और दर्द के कारण वे दौड़ नहीं पा रही थीं।
ऐसे में निक्की वहीं रुक गईं और उन्होनें एबे की सहायता की. एबे निक्की से जाने को कहती रहीं. उसे लगा कि उसकी मदद करते हुए सहीं निक्की मुकाबले से बाहर न हो जाए. वो लगातार कह रही थी… “तुम जाओ, तुम जाओ.मुझे नहीं पता कि मैं आगे दौड़ सकती हूँ या नहीं. तुम आगे दौड़ो”
लेकिन निक्की एबे के पास से तब तक नहीं हटी. जब तक एबे के पास मेडिकल मदद नहीं पहुँच गई।
इस तरह रुक जाने के कारण एबे और निक्की दोनों ही दौड़ में हार गईं और फ़ाइनल के लिए क्वालिफ़ाई नहीं कर पाईं। लेकिन बाद में दोनों ही को फ़ाइनल में दौड़ने की अनुमति दे दी गई।
यदि कोई सीखना चाहे तो ओलंपिक खेल हमें इंसान होना सिखाते हैं.