पोलियो की दवा में ही कंपनी ने मिलाया वायरस? FIR दर्ज, कई जगह पल्स पोलियो अभियान रुका

देश भर में एक दवा कंपनी ने जबरदस्त साजिश की और हमारे मीडिया पर खबर तक नहीं है. हालात ये हैं कि बायोमेड नाम की एक दंवा कंपनी ने कथित रूप से अपनी पोलिया की दवा में वायरल मिलाया.

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मुरादाबाद सहित प्रदेश के सभी जिलों के सरकारी अस्पतालों में बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने पर रोक लगा दी है. पिछले महीने गाजियाबाद की बायोमेड कंपनी की दवा में पी-2 वायरस पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है. अन्य कंपनियों की वैक्सीन नहीं होने से नवजात बच्चों को पोलियो की खुराक नहीं पिलाई जा रही है. इससे पोलियो उन्मूलन अभियान को झटका लग गया है.

पोलियो वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए बायोमेड समेत पांच कंपनियां दवा सप्लाई करती है. बायोमेड की बनाई ओरल वैक्सीन में टाइप टू पोलियो वायरस पाया गया है. यूपी में कुछ बच्चों के मल में टाइप टू बैक्टीरिया के लक्षण पाए गए. जांच में स्पष्ट हो गया कि वैक्सीन से ही इन बच्चों में यह वायरस पहुंचा है. उसके बाद बायोमेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर को गिरफ्तार किया गया.

पोलियो उन्मूलन समिति के पूर्व राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. अतुल अग्रवाल ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरी दुनिया को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया था. 25 अप्रैल 2016 को भारत सरकार से भी ऐसे आदेश जारी हुए थे. मतलब यह था कि यह वारयस हर कहीं यानी रिसर्च सेंटर से दवा कंपनियों की लैब तक से नष्ट किया जाना था. उसके बावजूद यह वायरस कैसे बचा रहा यह जांच का विषय है. ये गलती नहीं हो सकती.

सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चों को पोलियो की खुराक दी जाती है. बच्चे के जन्म से आधे घंटे से लेकर 15 दिन के बीच पहली खुराक दी जाती है. इससे बच्चे के शरीर में पोलियो वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इसके बाद डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन साल तक दवा पिलाई जाती है. पांच साल की उम्र तक बूस्टर लगाया जाता है. सीएमएस डॉ. कल्पना सिंह के मुताबिक बायोमेड कंपनी की वैक्सीन बंद होने से पोलियो की दवा नहीं दी जा रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय एवं निदेशालय से इस दिशा में अभी तक कोई नए दिशा निर्देश नहीं आए हैं. हालांकि, बच्चों को आईपीवी लगाए जा रहे हैं.

बायोमेड कंपनी की ओरल पोलियो वैक्सीन में टाइप-टू वायरस मिला था. इसके बाद पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी कर बच्चों को यह वैक्सीन पिलाने पर रोक लगा दी गई. हालांकि परिवार कल्याण महानिदेशक की ओर से जारी इस आदेश में वैक्सीन पिलाने पर रोक लगाने की वजह नहीं बताई गई है, मगर आदेश आने के बाद बरेली मंडल के चारों जिलों से यह वैक्सीन वापस मंगा ली गई है.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह वैक्सीन यूपी के तमाम जिलों में सप्लाई की गई थी. बरेली मंडल के चारों जिले भी इसमें शामिल हैं. हाल ही में इस पोलियो वैक्सीन में टाइप टू वायरस मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में ऊपर से नीचे तक खलबली मची हुई है. बताया जा रहा है कि प्रदेश में कुछ बच्चों के मल में वायरस के लक्षण मिलने के बाद जांच की गई तो साफ हुआ कि पोलियो वैक्सीन के जरिए यह वायरस उनमें पहुंचे हैं.

इसके बाद परिवार कल्याण महानिदेशक की ओर से पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी कर इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. सीएमओ डॉ. विनीत शुक्ला ने बताया कि लखनऊ से टाइप-टू वैक्सीन को स्टोर करने का आदेश आया था. उसका पालन किया गया है. हालांकि इस आदेश में वैक्सीन का इस्तेमाल रोके जाने का कारण नहीं बताया गया है. उन्होंने बताया कि सीएचसी और पीएचसी की 23 यूनिट पर भेजी गई वैक्सीन को स्टोर करा दिया गया है.

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