दिल्ली बनाम एलजी , ये है सुप्रीम फैसला

दानिक्स का सरकार, LG की सहमति से.
विवाद हो तो प्रेजिडेंट के पास जाए.
अधिकारियों पर अनुशास्त्मक करवाई का अधिकार प्रेजिडेंट के पास.
दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के क्षेत्राधिकार केंद्र के अधिकारियों पर नही
ACB केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ करवाई नही कर सकती.
इलेक्ट्रिसिटी को लेकर दिल्ली सरकार का अधिकार.
ACB को लेकर हाई कोर्ट के फैसले में सुप्रीम कोर्ट की मुहर.
दिल्ली सरकार डायरेक्टर की नियुक्ति कर सकते है.
कमीशन ऑफ इनक़्वायरी एक्ट-
इस मामले में दिल्ली केंद्र सरकार के अधीन आता है.
कृषि भूमि निर्धारण का अधिकार दिल्ली सरकार को
नोटिफिकेशन को लेकर LG का अलग मत हो सकता है. लेकिन रोज़मर्रा के कामकाज में मतभेद नहीं हों.
किसी गंभीर मुद्दे पर LG के मतभेद ठोस तथ्यों पर आधारित हों.

ये था विवाद
न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ऐसा निर्णय दे सकती है, जिससे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल के बीच अधिकार क्षेत्र पर लंबे समय से चल रही लड़ाई शांत हो सके.
सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि सेवाओं, अफसरों के ट्रांसफर- पोस्टिंग और एंटी करप्शन ब्यूरो, जांच कमीशन के गठन पर किसका अधिकार? एक नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
आम आदमी पार्टी की सरकार यह मानती है कि जनता की ओर से चुनी जाने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी के शासन में उसके अधिकार सीमित हैं. पिछले साल आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2018 के फैसले में कहा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. मगर उप राज्यपाल के पास भी स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और उन्हें चुनी गई सरकार से परामर्श और सहयोग लेकर काम करना चाहिए
शीर्ष अदालत ने कहा था कि उप राज्यपाल मंत्रिपरिषद के फैसले से भले न सहमत हों, मगर उनकीआपत्तियां बुनियादी मुद्दों पर होनी चाहिए और उसके पीछे तर्क होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के जुलाई, 2018 के फैसले ने अगस्त 2016 में दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें कहा गया था कि केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण दिल्ली की सभी शक्तियां केंद्र के पास हैं न कि राज्य सरकार के पास.

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