मल्टीप्लैक्स वाले करते हैं भोजपुरी फिल्म वालों से नफरत, ये हैं वजह

दिल्ली में भोजपुरी फिल्मों को देखने वाले दर्शकों की संख्या में तेज़ी से इजाफा हो रहा है. दिल्ली ही नहीं ईस्टर्न यूपी, बिहार और यहां तक कि पंजाब के लुधियाना में एक बड़ा तबका इन फिल्मों का दीवाना है कई बार तो भोजपुरी फिल्मों के दर्शक बॉलीवुड, हॉलीवुड और अन्य क्षेत्रीय सिनेमा के दर्शकों से भी ज्यादा होते हैं फिर भी मल्टीप्लैक्स वाले कहते हैं उन्हें ऐसी कमाई मंजूर नहीं.

निरहुआ है सुपरस्टार

अगर हम 2015 की हिट भोजपुरी फिल्मों की ओर नजर डालें तो फिल्म वितरक मुख्यतः दो फिल्मों का नाम लेते हैं और दोनों ही निरहुआ की हैः राजा बाबू और पटना से पाकिस्तान. फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर जोगिंदर महाजन बताते हैं, “राजा बाबू 2015 की बड़ी हिट फिल्म रही है, और इसने लगभग 4 करोड़ रु. का कारोबार किया है.

वे बताते हैं कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के अलावा लुधियाना में भी भोजपुरी फिल्मों की अच्छी खासी डिमांड है, और ऑडियंस भी जबकि दिल्ली में पुरानी दिल्ली के सिनेमाघरों जैसे मोती और हंस में ये फिल्में रिलीज होती हैं. तो पुराने जमाने की टिकट की लाइनें लग जाती हैं

थूक देते हैं दर्शक

एक तरफ भोजपुरी फिल्मों की डिमांड पीक पर हैतो दूसरी तरफ मल्टीप्लेक्स वाले इनसे दूर ही रहना चाहते हैं. एक फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर बताते हैं कि अक्सर भोजपुरी फिल्मों को लेकर इन्कवायरी आती है. डिस्ट्रीब्यूटर बताते हैं कि “भोजपुरी फिल्म देखने आने वाले दर्शक पान खाकर पीक हॉल में ही मार देते हैं, और हॉल गंदा कर देते हैं.

ये तर्क सही हो या गलत लेकिन भोजपुरी फिल्मों से दर्शकों को रोकना अच्छी बात तो नहीं है.