अक्सर लोग दुआएँ करते हैं कि उनकी दुनिया जब भी विदाई हो हंसते हंसते हो , कल्पना कीजिए कि किसी की ये दुआ उपर वाला कबूल कर ले और हंसा-हंसाकर मार डाले. तमिलनाडु के एक सरकारी अस्पताल में इलाज कराने गई महिला मरीज को इतनी हंसी आई कि वो हंसते हंसते 411 दिन के लिए कोमा में चली गई . इसके बाद उसकी मौत हो गई . दरअलह डॉक्टरों ने ऑक्सीजन के स्थान पर इस महिला को नाइट्रस ऑक्साइड (लॉफिंग गैस) लगा दी थी. अब मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को महिला के परिजनों को 28 लाख रुपए का मुआवजा देने आदेश दिया है। यह मुआवजा महिला के पति को मिलेगा।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश शशिधरन ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि मामले में गलती राज्य सरकार के अस्पताल की है इसलिए सरकार ही मुआवजा दे जिसे डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से पत्नी की जान जाने के बाद दो बच्चों का पालन पोषण बड़ी मुश्किल करना पड़ रहा है। महिला की मौत कन्याकुमारी के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
इस आधार पर तय हुआ मुआवजा
महिला के पति ने अदालत में दलील दी की उसकी 34 वर्षीय पत्नी एक टेलर थी और हर महीने 12 हजार रुपए से ज्यादा कमाती थी। वह अभी 15 से 20 साल तक और काम करती। याचिकाकर्ता पति अदालत को बताया कि उसकी पत्नी अब तक जो कमाती उस पर 9 फीसदी की ब्याज लगाने के बाद कुल 21.21 लाख रुपए होते हैं। अदालत ने मुआवजे के लिए उसी फार्म्यूले का इस्तेमाल किया जो सड़क दुर्घटना में किसी की मौत पर मुआवजा के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
अदालत ने चार लाख रुपए का मुआवजा कोई प्राथमिक राहत न देने के लिए लगाया और बाकी याचिकाकर्ता की अदालत में शिकायत करने में आए खर्च और समय की बर्बादी के लिए लगाया।