रिलायंस जीओ के लांच के बाद अब तक बाकी ऑपरेटर सदने से उबर नहीं पाए हैं. लेकिन जानकार अभी भी कई सवाल उठा रहे हैं. इन सवालों का जवाब जब तक नहीं मिलता तबतक ये कहपाना मुश्किल होगा कि रिलायंस जियो की तरफ जाने से आपका महीने का मोबाइल का बिल कम होगा या बढ़ेगा. जानकारों का कहना है कि अभी दावे से नहीं कहा जा सकता कि रिलायंस दूसरे ऑपरेटर के मुकाबले महंगा पड़ने वाला है या सस्ता. ये कुछ सवाल रिलायंस के मामले में सबसे अहम हैं..
- रिलायंस का कॉल 4 जी डाटा के ज़रिये किया गया हाई क्वालिटी इंटरनेट कॉल होगा न कि जीएसएम कॉल. ऐसे कॉल करने पर आपको डाटा खर्च करना होगा अब तक वाट्सएप या दूसरे जरियों से की गई ऐसी कॉल आम कॉल के मुकाबले काफी महंगी पड़ती है. कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि बात करने के लिए मुफ्त कॉल के नाम पर रिलायंस डाटा का बिल बनाता रहे और आप मुफ्त समझते रहें. मीडिया का एक हिस्सा कह रहा है कि कॉल में खर्च होने वाला डाटा बिल में जोड़ा नहीं जाएगा. लेकिन दूसरा हिस्सा कह रहा है कि ऐसा नहीं है.
- 4 जी डाटा की खपत आम तौर पर 2 जी और 3 जी से कहीं ज्यादा होती है. सच तो ये हैं कि 4 जी के इस्तेमाल से डाटा की खपत काफी ज्यादा ब़ढ़ जाती है. कई ऐसे फंक्शन भी 4 जी में काम करने लगते हैं जो कि 3 जी कनेक्शन में सिर्फ वाई फाई पर ऑन होते हों . इन फंक्शन्स में है गूगल प्ले ऑटोमेटिक डाउन लोड और सिस्टम अपडेट बगैरह. रफ्तार से काम करने के कारण भी लोग 4 जी में कम समय में ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं जो अंत में जेब पर भारी पड़ती है.
- इसमें कोई सच नहीं कि रिलायंस का 4 जी डाटा बेहद सस्ता है लेकिन जब इन जरियों से ज्याद खपत होने लगेगी तो ये पता करना मुश्किल होगा कि जियो महंगा पड़ा या सस्ता. खास तौर पर 500 रुपये महीने से कम के मोबाइल बिल वाले लोग हो सकता है बड़े झटके के शिकार हों .
जानकार सलाह दे रहे हैं कि कुछ दिन टिककर जियो के बिल पर पड़ने वाले असर का अध्ययन कर लिया जाए तभी कोई बड़ा फैलला लिया जाए. इसलिए मुफ्त की सेवा के खत्म होने का इंतज़ार करें. देखें जियो कितनी ज़िंदगी देता है. इस बीच दूसरी मोबाइल कंपनियों का प्राइज़वार में अभी कूदना बाकी है. उनके नये टैरिफ प्लान आने के बाद भी तस्वीर और साफ होगी. तबतक आप मुफ्त सेवा का मज़ा लेते रहें और दिसंबर तक तस्वीर साफ होने का इँतज़ार करें