बीजेपी 2019 के चुनाव में अपनी कमज़ोरियों को अभी से पहचान गई है? बीजेपी को 2019 की चिंता 2016 में ही सताने लगी है? इतनी मजबूत फॉर्वर्ड प्लानिंग ने ही बीजेपी को बनाया है विजेता पार्टी?
ये सवाल हैं लेकिन इनमें ही बीजेपी की सफलता का राज भी छिपा है. पार्टी को अभी से अंदाज़ा है कि 2019 के चुनाव में किन सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ सकता है. इन सीटों के बदले कुछ ज्याद संभावित सीटों की बीजेपी ने पहचान भी कर ली है. हाल ही में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की ने बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में 115 ऐसी नई सीटों की पहचान की है जहां से पार्टी होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकती है “नए आधार” के तौर पर चिह्नित की गईं इन सीटों पर पार्टी जीत की संभावना देख रही है. इन नयी सीटों पर ध्यान देने का मतलब है नये राज्यों में अपने लिए संभावनाएं तलाशना. बीजेपी ऐसा इसलिए भी कर रही है क्योंकि हिंदीभाषी उत्तर भारतीय राज्यों में वो अपना शीर्ष प्रदर्शन कर चुकी है. इन राज्यों में प्रदर्शन में गिरावट ही आनी है. बीजेपी को महाराष्ट्र और हरियाणा में भी सत्ता विरोध लहर का सामना करना पड़ सकता है.”जिन नये राज्यों में पार्टी ध्यान दे रही है वो हैं ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और नॉर्थ ईस्ट के राज्य खास तौर पर असम.
कोर कमेटी की बैठक के बारे में जानकारी रखने वाले बीजेपी नेता बता रहे हैं कि इन सभी राज्यों के महासचिवों और सचिवों को राज्यवार तरीके आगामी आम चुनाव की रणनीति का खाका बनाकर 16 अक्टूबर तक पेश करने के लिए कहा गया है.
2014 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को उत्तर प्रदेश की 80 में 72, महाराष्ट्र की 48 में 42, बिहार की 40 में 31 और गुजरात की सभी 26 तथा राजस्थान की सभी 25 लोक सभा सीटों पर जीत मिली थी. मध्य प्रदेश की 28 में 25 और हरियाणा की 10 में 7 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी.
वहीं पश्चिम बंगाल की 42 में 2, ओड़िशा में 21 में 1 सीटों पर जीत मिली थी. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी और ओड़िशा में नवीन पटनायक की बीजेडी को सबसे ज्यादा लोक सभा सीटें मिली थीं.
बात दक्षिण भारत की करें तो तमिलनाडु की 39 में 1, तेलंगाना की 17 में 1 और आंध्र प्रदेश की 25 में 2 सीटों पर बीजेपी को कामयाबी मिली थी. आंध्र में बीजेपी ने टीडीपी के साथ मिलकर आम चुनाव लड़ा था. केरल में बीजेपी एक भी लोक सभा सीट नहीं जीत सकी थी. बीजेपीको उम्मीद है कि अगले आम चुनाव में केरल और कर्नाटक में उसकी सीटें बढ़ सकती हैं. पिछले चुनाव में पार्टी ने कर्नाटक की 28 में 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. गैर बीजेपी शासित प्रदेशों पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति के तहत इन राज्यों में पहले से नए कार्यक्रम और योजनाओं की शुरुआत की जा चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दो साल में ओड़िशा में तीन रैलियां कर चुके हैं. पूर्वोत्तर भारत की 25 लोक सभा सीटों को ध्यान में रखते हुए ही पीएम मोदी हर केंद्रीय मंत्री को पूर्वोत्तर के राज्यों को हर महीने कम से कम दो बार पूर्वोत्तर जाने का निर्देश दे चुके हैं.