भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने जीवन के अंतिम समय को जीता उस भवन का नाम बदल दिया गया है, जहां उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली थी। यह निश्चित रूप से देश के प्रधानमंत्री स्मारक म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (Prime Minister Memorial Museum and Library) के नाम से विख्यात होगा। यह वही भवन है, जहां नेहरू ने आजादी के बाद से लगभग 16 वर्षों तक अपना निवास बनाया था। इस भवन में नेहरू के संबंध में कई महत्वपूर्ण वस्तुएं संग्रहित हैं, और उनके निधन के बाद, यह भवन एक म्यूजियम और लाइब्रेरी के रूप में संगठित किया गया था। इस संगठन में पुस्तकें, देश की विरासत से जुड़ी कई वस्तुएं, उपहार, चित्रकारी और कई अन्य महत्वपूर्ण चीजें संभाली जाती हैं। कांग्रेस ने मोदी सरकार द्वारा इस स्मारक के नाम के परिवर्तन पर आलोचना की है।
15 जून, गुरुवार को, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की एक विशेष बैठक आयोजित हुई, जिसमें नेहरू मेमोरियल के नाम के परिवर्तन के फैसले पर मुहर लगाई गई। राजनाथ सिंह नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के उपाध्यक्ष हैं और प्रधानमंत्री इस संगठन के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा, गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जी किशन रेड्डी, अनुराग ठाकुर जैसे अन्य 29 सदस्य इस संगठन का हिस्सा हैं।
नेहरू मेमोरियल के नाम का आदिकालीन रूप से तीन मूर्ति भवन था। इस भवन का निर्माण 1929-30 में एडविन लूटियंस के इंपीरियल कैपिटल प्रोजेक्ट के तहत हुआ था। इसे अंग्रेज़ों के शासन काल में तीन मूर्ति भवन के रूप में भारतीय न्यायाधीश और ब्रिटिश शासन के कमांडर-इन-चीफ के आवास के रूप में उपयोग किया जाता था। जब पंडित नेहरू वर्ष 1948 में देश के प्रधानमंत्री बने, तब इस भवन को उनका आधिकारिक आवास बनाया गया था।
नेहरू की मृत्यु के बाद, इस आवास को नेहरू स्मारक म्यूजियम और लाइब्रेरी के रूप में संगठित करने का निर्णय लिया गया। यह संगठन उनकी जीवनी, विचारधारा, राजनीतिक यात्रा और उनकी अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के साथ-साथ उनकी व्यक्तिगत वस्तुओं को भी संग्रहित करता है।
यह संगठन नेहरू के बहुमुखी प्रतिष्ठान होने के साथ-साथ एक स्मारक भी है, जो उनकी प्रशंसा और याद करने के लिए स्थापित किया गया है। इसका उद्घाटन 1964 में हुआ था और उसके बाद से यह देश के औद्योगिक और पर्यटन स्थलों में से एक बन गया है। यह भवन और संगठन भारतीय इतिहास, राजनीति, साहित्य और संस्कृति के एक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतीक है और देशवासियों के लिए महत्वपूर्ण साक्षात्कार और शोध केंद्र है।