महाराष्ट्र में एक नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम के तहत अजित पवार समेत एनसीपी के नौ विधायकों ने बीजेपी-शिवसेना (शिंदे) गठबंधन की सरकार में शामिल होने का ऐलान किया। इससे पहले बीजेपी ने अजित पवार समेत इन विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। लेकिन अब अजित पवार राज्य के उपमुख्यमंत्री बने हैं और साथ ही उन्होंने अन्य विधायकों को भी मंत्री पद पर नियुक्त किया है। यह दिलचस्प है कि कुछ नेताओं के पीछे जांच एजेंसियां लगी हुई थीं और उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इनमें से देवेंद्र फडणवीस और अजित दादा चक्की पीसिंग जैसे नेता अब उपमुख्यमंत्री के तौर पर सरकार में शामिल हैं।
हालांकि बीजेपी ने उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे जबकि चीनी मिलों में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच में ईडी का शिकंजा उन पर कसने लगा था। पिछले साल मार्च महीने में आयकर विभाग ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के रिश्तेदारों के घर पर छापा मारा था और उनकी कुछ संपत्तियों को ज़ब्त किया था। अजित पवार से संबंधित जरंदेश्वर चीनी मिल पर भी जब्ती की गई थी। इस मामले में अजित पवार पर बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
सोमैया ने उनका वित्तीय कारोबार अद्भुत बताया और कहा कि उनके और उनके रिश्तेदारों के खातों में सौ करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति है। राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भी उन्हें क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि, मई 2020 में प्रवर्तन निदेशालय ने विदर्भ सिंचाई घोटाले के मामले की जांच शुरू की थी और अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की कंपनी पर भी आयकर विभाग ने छापा मारा था। आयकर विभाग ने दावा किया था कि अजित पवार के रिश्तेदारों पर हुई छापेमारी में 184 करोड़ रुपये का बेनामी वित्तीय लेनदेन का पता चला है। अप्रैल 2023 में टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने राज्य सहकारी बैंक घोटाले के सिलसिले में अजित पवार और सुनेत्रा पवार से जुड़ी एक कंपनी के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर किया है।
यहां तक कि अजित पवार और सुनेत्रा पवार का नाम इस आरोप पत्र में शामिल नहीं था। इसके बाद से ही एनसीपी में बग़ावत की चर्चा शुरू हो गई थी। इस ख़बर के सामने आने के बाद अजित पवार ने सार्वजनिक रूप से अपनी सफ़ाई दी थी। यह घटनाक्रम राजनीतिक और भ्रष्टाचार के मुद्दों के बारे में महत्वपूर्ण चर्चाओं को उजागर करता है। अजित पवार ने भारतीय राजनीति में लंबे समय तक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और वे महाराष्ट्र में सशक्त राजनीतिक दल के मान्यता प्राप्त नेता हैं। हालांकि, उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने के कारण उनकी नैतिकता पर सवाल उठते हैं और इसने उन्हें सियासी मंदिर को तोड़ने के लिए अपमानित किया है।