भारत ने चीन को एक और बड़ी चोट पहुंचाई है जिससे यह दूसरा सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था वाला देश होने वाला चीन सकुशल कदम ठोकने में कामयाब नहीं हो सका है। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भारत ने चीन की प्रमुख बेल्ट और रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को खारिज कर दिया है। चीन के इस परियोजना के कारण दुनिया के कई देश आर्थिक संकट में फंस चुके हैं। भारत ने इस परियोजना का समर्थन करने से इनकार कर दिया है। एससीओ में शामिल देशों में सिर्फ भारत ने ही इस परियोजना के विरोध में खड़ा हुआ है। अन्य देशों ने चीन के इस परियोजना का समर्थन किया है। यह बैठक भारत में वर्चुअल रूप में आयोजित की गई थी। इसमें भारत के अलावा चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान शामिल हुए। इस सम्मेलन का अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की और इसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ और अन्य नेताओं ने भाग लिया।
लेकिन भारत के अलावा किसी और देश ने चीन की बीआरआई के खिलाफती की कोशिश नहीं की है। यह पहली बार नहीं है जब भारत ने बीआरआई के खिलाफ आवाज उठाई है। पिछले साल भी समरकंद घोषणापत्र में भारत ने इस परियोजना का विरोध किया था। भारत ने हमेशा से इस परियोजना का विरोध किया है। उनकी मान्यता है कि इस परियोजना के तहत बन रहा चीन-पाकिस्तान आर्थिक मार्ग भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय एकता को खतरा पहुंचाता है। यह मार्ग पाकिस्तान के अधिकार के तहत निकलता है, जो कश्मीर का हिस्सा है जिस पर भारत का दावा है। समरकंद घोषणापत्र में भी भारत के अलावा बाकी देशों ने इस परियोजना का विरोध किया था। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि चीन की बीआरआई परियोजना के कारण दुनिया के कई देशों आर्थिक संकट में फंस गए हैं। विश्व के करीब एक दर्जन देश चीन की कर्ज़ में बुरी तरह फंसे हुए हैं।
इन देशों को हजारों करोड़ डॉलर का कर्ज़ है और वे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। इनमें पाकिस्तान, केन्या, जाम्बिया, लाओस और मंगोलिया शामिल हैं। इन देशों के विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा हिस्सा चीन की कर्ज़ की चुकता होने जा रहा है। स्थिति यह है कि उनके पास स्कूल चलाने, अपने लोगों को बिजली देने और पेट्रोल-डीजल के लिए भी पैसे नहीं हैं। कई देश आर्थिक त्रासदी की दहाड़ में हैं। उनके पास कुछ ही महीनों के आवश्यकताओं के लिए पैसे बचे हैं। चीन कोई भी कर्ज़ माफ़ नहीं कर रहा है। इसके अलावा, यह भी स्पष्ट नहीं है कि चीन ने इन देशों को कितना कर्ज़ दिया है और उसके लिए कितना ब्याज़ वसूला है। सब कुछ गुप्त रखा गया है। इस वजह से अन्य देश भी इन देशों की मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।