प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय के विचारों से संविधानिक विवाद की घटनाएं चर्चा में हैं। जेडीयू और आरजेडी ने दिए गए लेख को लेकर बीजेपी पर हमला बोला है। राजनीतिक अखिलेश विवाद में उन्होंने बीजेपी के प्रति आलोचनाओं को मजबूती से उठाया है।
जेडीयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन ने यह कहकर कहा, “बिबेक देबरॉय ने जो कुछ कहा है, उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि बीजेपी और आरएसएस की सोच में गहराईयों में अंतर है।” उन्होंने इस संविधानिक मामले के बारे में व्यक्त राय को बताया कि यह गंभीर रूप से देश की संविधानिक विशेषताओं को प्रकट करता है और उनका ज्ञान बढ़ाता है।
राजीव रंजन ने और भी मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “यह प्रयास कभी भी भारतीय समाज द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा। विश्व के सबसे उत्कृष्ट संविधान के तौर पर हमारा संविधान प्रमाणित होता है और बिबेक देबरॉय ने इसकी महत्वपूर्णता को दिखाने का काम किया है।”
उन्होंने और भी जानकारी देते हुए कहा कि “संविधान में सुधार करने की कई कवायदें हो सकती हैं, लेकिन उनके अलावा हमें ड्राइंग बोर्ड पर वापस जाने की आवश्यकता है। हमें पहले सिद्धांतों से शुरू करना चाहिए और सोचना चाहिए कि आजकल के शब्दों का क्या मतलब है।”
दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता मनोज झा ने इस मामले पर अपनी राय रखते हुए कहा, “बिबेक देबरॉय ने खुद को स्पष्ट कर दिया है। उनके विचारों को देखकर ऐसा लगता है कि उनकी ज़ुबान बिजली की तरह चल रही है।”
झा ने इस पर और भी विचार दिए, “ऐसा लगता है कि उन्हें किसी तरह से बुलवाया गया है और उन्होंने जो कुछ कहा है, वह सिर्फ कुछ शब्दों के खेल से कम नहीं है।”
झा ने और आगे कहा, “बिबेक देबरॉय का यह बयान दिखाता है कि उन्हें संविधान की महत्वपूर्ण बातें समझने की ज़रूरत है। इसके