कर्मचारियों पर शोध करने वाली अमेरिकी संस्था कॉर्न फेरी से जुड़े हेय ग्रुप की एक रिपोर्ट से ये आंकड़े सामने आए हैं. इसके मुताबिक पिछले आठ साल में भारत की जीडीपी में 63.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि लोगों का वेतन सिर्फ 0.2 प्रतिशत बढ़ा है. इस मामले में चीन 10.6 प्रतिशत वृद्धि के साथ सबसे आगे हैं जबकि उसके बाद 9.3 प्रतिशत के साथ इंडोनेशिया और 8.9 प्रतिशत के साथ मैक्सिको का नंबर आता है.
वैसे, इस मामले में कई देशों की हालत भारत से भी खराब है. वहां बीते आठ सालों में वेतन बढ़ा नहीं, बल्कि घट गया है. रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की में वेतन में 34.4 प्रतिशत की कमी आई है तो अर्जेंटीना में 18.6 प्रतिशत, रूस में 17.1 प्रतिशत और ब्राजील में 15.3 प्रतिशत तन्ख्वाह घटी है.
रिपोर्ट कहती है, “उभरते हुए जी20 देश या तो सबसे ज्यादा वृद्धि वाले देशों में शामिल हैं या फिर सबसे ज्यादा गिरावट वाले देशों में. लेकिन भारत बीच में दिखाई देता है.” कॉर्न फेरी हेय ग्रुप ग्लोबल प्रोडक्ट मैनेजर बेंजामिन फ्रोस्ट कहते हैं कि भारत में वेतन वृद्धि में सबसे ज्यादा असमानता है.
उनका कहना है कि वरिष्ठ पदों पर लोगों के वेतन में बहुत अधिक वृद्धि का कारण उस पेशे में दक्ष लोगों की कमी हो सकती है और इन पदों पर वेतन वृद्धि कहीं ना कहीं अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से होती है. हालांकि अन्य देशों के मुकाबले भारत में कम ही वेतन दिया जाता है, लेकिन ये अंतर तेजी से घट रहा है.
छोटे पदों पर काम करने वाले लोगों की तन्ख्वाह में सबसे कम वृद्धि की वजह रिपोर्ट में ये बताई गई है कि काम करने वाले लोगों की तादाद ज्यादा है और नौकरियां कम हैं. फ्रोस्ट कहते हैं, “भारत में नौकरियों के अवसर पैदा करने के मामले में अन्य देशों के मुकाबले कम प्रगति दिखती है. इसीलिए बिना दक्षता वाले या कम दक्ष लोग कम वेतन पर काम करने को मजबूर हैं.”
विकसित देशों की बात करें तो अमरीका में आठ साल के दौरान वेतन में सबसे ज्यादा 3.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है जबकि उसकी जीडीपी में 10.2 प्रतिशत में इजाफा हुआ है. वहीं कनाडा में लोगों की सैलरी 7.2 प्रतिशत बढ़ी है और इस दौरान उसकी डीजीपी भी 11.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. अन्य विकसित देशों को देखें तो ऑस्ट्रेलिया में औसतन 5.9 प्रतिशत, फ्रांस में 5.2 प्रतिशत, जर्मनी में 5 प्रतिशत और इटली में 2.4 प्रतिशत वेतन बढ़े हैं.