सरकार के बेहतर निर्णय के बावजूद, जीएसटी (सामान और सेवा कर) का अंतर्निहित योजना अब बड़े संकट का सामना कर रही है क्योंकि बढ़ी हुई करों के कारण चिंताएँ बढ़ रही हैं। जीएसटी, जो करवाई को सरल और सुगम बनाने का एक कदम के रूप में पेश किया गया था, उम्मीद थी कि व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को राहत देगा। हालांकि, हाल की घटनाएँ दिखाती हैं कि यह उलटा हो रहा है।
जीएसटी करों को बढ़ाने का निर्णय विभिन्न क्षेत्रों और उद्योगों में आक्रोश पैदा कर रहा है। कई व्यवसाय सख्त कर के साथ आवश्यकता का सामना कर रहे हैं, जिससे माल और सेवाओं की महंगाई बढ़ रही है। इसके परिणामस्वरूप, अर्थव्यवस्था में एक लहर सा बढ़ रहा है, क्योंकि बढ़ी हुई लागतों के कारण उपभोक्ताओं की खरीदारी क्षमता कम हो रही है।
विशेषज्ञ और अर्थशास्त्रियों ने दिखाया कि जीएसटी, जो विभिन्न उद्योगों में उद्यमिता का एक कदम बनने के रूप में था, अब साकार नुकसान का सामना कर रहा है।