इनसानों के खिलाफ प्रदर्शन तो आपने बहुत देखे होंगे , गुंडों के आतंक के खिलाफ भी प्रदर्शन अक्सर होते रहते हैं. करप्ट नेताओं के खिलाफ भी लोग सड़को पर उतरते हैं, महिलाओं के प्रति अपराधों के खिलाफ भी कैंडल मार्च आम बात हैं, नेताओं और भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ भी लोगों की रैलिया देखने में आ ही जाती है. लेकिन गाजियाबाद के लोगों ने कुत्ते के खिलाफ रैली निकाली. जी सचमुच ये रैली एक कुत्तों के गैंग के खिलाफ थी. इस 5 सदस्यीय गैंग के खिलाफ इसलिए क्योंकि ये अपराधियों की तरह किसी मकसद से लूटपाट नहीं करता बल्कि यूं ही बिना मकसद जिसे मर्ज़ी आए दांत गड़ा देता है. प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि अकेला ये गैंग कुत्ता अबतक पच्चीस से ज्यादा लोगों का खून चख चुका है. दिल्ली के बड़े बडे अखबारों में भी इस कुत्ता गैंग को लेकर खबरें छप चुकी हैं लेकिन दूसरे अपराधियों की तरह इस कुत्ता गैंग को भी राजनीतक संरक्षण मिला हुआ है. छोटे छोटे बच्चे और बडे इसके आतंक के कारण घर से नहीं निकलते. राजनीतिक संरक्षण भी किसी ऐसे वैसे का नहीं एक केन्द्रीय मंत्री का संरक्षण. लोगों ने जब इस गैंग के खिलाफ शिकायत की तो केन्द्र सरकार का दबाव आ गया. अफसरों को मंत्री से 50 गालियां ऊपर से सुननी पड़ीं.
जब हाउसिंग सोसायटी के लोगों ने चूं चपड़ की तो मंत्री ने उन्हें भी फोन करके हड़का दिया . इसके बाद लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. लोगों कुत्ते के साथ-साथ मंत्री के खिलाफ भी कैंडल मार्च निकाल दिया. केन्द्रीय मंत्री कोई और नहीं मेनका गांधी है., लोगों का सवाल है कि वो सभी कुत्तों के खिलाफ तो शिकायत नहीं करते. सोसायटी में करीब 12 कुत्ते हैं लेकिन लोगों को किसी से शिकायत नहीं. लेकिन ये गैंग मिलकर घेरकर लोगों को गिरा देता है और घायल कर देता है. फिर इस गैंग पर र्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए. इनसानों के खिलाफ बी तो एक्शन होता है. सोसायटी में और भी तो कुत्ते हैं. लोग उनका विरोध तो नहीं करते .
बड़ी बात ये है कि इस कैंडल मार्च के बाद भी कुत्ता उसी शान से सोसायटी में वारदातों को अंजाम दे रहा है बस लोग ही हैं कि घर से बाहर नहीं निकल पाते. कैंडल मार्ट के आलावा लोगों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर पुलिस थाने तक हर जगह शिकायत की है लेकिन सुनवाई कहीं नहीं होती.
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