सोशल मीडिया पर सच और झूठ की परख करना पड़ा मुश्किल है, हाल में बकरीद के दिन बांग्लादेश की राजधानी ढाका में जानवरों की क़ुर्बानियां और बारिश एक साथ हुई.
नतीजा ये हुआ कि बारिश के पानी में ख़ून मिल गया और सड़कें लाल हो गईं. हालात बदतर कर दिए जाम पड़ी नालियों ने. सड़कों पर बहते लाल पानी की तस्वीरें आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं.
बीबीसी समेत दुनिया भर के मीडिया ने इस पर रिपोर्ट प्रकाशित की. लेकिन भारत में अब कुछ लोग इन्हीं तस्वीरों का रंग फोटोशॉप से बदलकर ढाका की असली तस्वीरों को झूठा साबित करने की कोशिश कर रहे हैं.
भारत में सोशल मीडिया पर इसे लेकर ख़ूब बहस भी हो रही है.
कुछ वेबसाइटों ने भी फोटोशॉप से बदली गईं तस्वीरों को ही असली मानकर ख़बर भी प्रकाशित कर दी है.
आम आदमी पार्टी लखनऊ के अधिकारिक फ़ेसबुक पेज ने ऐसी ही एक ख़बर को शेयर भी किया है.
ऐसी ही फोटोशॉप तस्वीरों के शेयर करते हुए शाहनवाज़ ख़ान यूसुफ़ज़ई ने लिखा, “नफ़रत फैलाने के लिए फोटोशॉप काफी है.”
कुछ लोगों ने पानी में फोटोशॉप के ज़रिए अलग-अलग रंग भी भर दिए हैं.
ऐसी ही तस्वीरों को शेयर करते हुए तारिक़ अनवर ने लिखा, “ढाका में बकरीद के दिन मनाई गई होली, श्रेय मिला फोटोशॉप को. जय फोटोशॉप”
वहीं रवि रावत ने पूछा, “मेरे मुस्लिम मित्र इन तस्वीरों को झुठलाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?”
वहीं पत्रकार दिलीप ख़ान ने फ़ेसबुक पर लिखा, “फैक्ट मत बदलिए. सच यही है कि ढाका के पानी का रंग लाल था. सीवेज की नकारा व्यवस्था के चलते बकरीद पर खून और पानी के मिलने से ऐसा हुआ.”