राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए गति में आ चुका है, और बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के बीच चुनावी उत्सव की तैयारियाँ तेज़ी से बढ़ रही हैं। बीजेपी ने अब तक 41 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है, लेकिन यह साफ है कि चुनावी लड़ाई में ही ही खुद को सिद्ध करने के लिए पार्टी के नेताओं को गहरे संघर्ष का सामना करना पड़ेगा.
टिकट वितरण के मामले में विभिन्न प्रकार के विवाद आ सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बीजेपी के कई पदाधिकारी अपने पदों को छोड़ रहे हैं.राजस्थान में भाजपा में विरोध भी बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस की पहली सूची जारी होने से पहले ही बीजपी के करीब 400 नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। सबसे अधिक विवाद सांचौर विधानसभा क्षेत्र में देखा जा रहा है, जहां सांसद देवजी पटेल के उम्मीदवार घोषणा के बाद, विधानसभा के आठ मंडल अध्यक्षों ने अपने इस्तीफों का सामर्थ्य दिखाया है. इसके अलावा, कोटपूतली क्षेत्र में भी ऐसे ही कई पदाधिकारी अपने इस्तीफे सौंप चुके हैं, जो टिकट वितरण के खिलाफ थे.
पदाधिकारियों का कहना है कि उनके खिलाफ विधानसभा क्षेत्र के टिकटों का वितरण अनयायपूर्ण था, और स्थानीय मंडल अध्यक्षों की मानसिकता को नहीं समझा गया था. इससे उनमें नाराजगी और विरोध बढ़ गया, और वे अपने पदों को छोड़ने का फैसला किया.
विपक्ष के लिए यह संकट हो सकता है, लेकिन भाजपा अब इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रही है और दूसरी उम्मीदवारों की सूची को ध्यानपूर्वक तैयार कर रही है. इसके साथ ही, पार्टी की यह कोशिश भी है कि वसुंधरा राजे गुट के नेताओं को भी उचित स्थान दिया जाए. भाजपा की अगली उम्मीदवारों की सूची की घोषणा की तारीख 18 अक्टूबर से पहले हो सकती है.