नई दिल्ली : कश्मीर के उड़ी में हुए आंतकी हमले के पीछे हमलावरों को आर्मी ट्रेनिंग की आशंका सेभी इनकार नहीं किया जा सकता. जानकारों का कहना है कि जिस तैयारी से आतंकवादी आए थे और जिस अँदाड़ में उन्होंने हमले को अंजाम दिया वो काम कोई सही कमांडो ट्रेनिंग वाला हमलावर ही कर सकता है. खुफिया सूत्र इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कहीं आईएसआई की जगह खुद पाकिस्तान की आर्मी ने भी तो आतंकवादयों को ट्रेनिंग देनी शुरू नहीं कर दी. हमलावर ने जबरदस्त रणनीति से वारदात को अँजाम दिया. ,सीधे गोलाबारूद का इस्तेमानल करने की जगह उन्होंने टैंटों में आग लगाई ताकि ज्यादा जानें ली जा सकें. इस हमले का नतीजा ये हुआ कि भारत के बहादुर सैनिकों को संभलने का मौका ही नहीं मिला और वो आग में घिर गए. 17 में से 13 फौजियों की मौत टेंट में लगी आग से हुई. हमलापर कितने ट्रेंड थे और जबरदस्त तैयारी से आए थे इसका अंदाजा एक सैनिक के बयान से लगाया जा सकता ह. सैनिक ने बताया कि आतंकी तड़के 3.30 बजे कैंप की पिछली दीवार से घुसे. 105 मिनट तक नाइट विजन से कैंप का जायजा लिया. फिर सुबह 5.15 बजे फ्यूल टैंक से डीजल भर रहे निहत्थे जवानों पर धावा बोल दिया. 3 मिनट में 17 ग्रेनेड दागे. 150 मीटर इलाके में फैले टेंट और बैरकों में आग लग गई
देखिए हमले की टाइमिंग. आतंकवादी हमला करने की जल्दी में नहीं थे उन्होंने पूरा ध्यान तैयारी पर दिया. प्लानिंग के बाद हमला बोला , इस टाइमलाइन से आपको ये मामला समझने में मदद मिलेगी
>> 3.30 बजे (तड़के): उरी में 10वीं इन्फ्रेंट्री ब्रिगेड हेडक्वार्टर की पिछली दीवार से सटे नाले के रास्ते से चार आतंकी कैंप के भीतर दाखिल हुए.
>> 5.15 बजेः फ्यूल टैंक से डीजल भर रहे सेना के जवानों पर हमला किया. 150 मीटर इलाके में मौजूद टेंट और बैरकों में आग लग गई.
>> 5.19 बजे: सेना की ओर से जवाबी हमला शुरू हुआ. एक आतंकी मौके पर ही ढेर. तीन आतंकियों ने खाली बैरकों में पोजिशन ली.
>> 7.12 बजे: पैरा कमांडो मौके पर बुलाए गए. उन्हें हेलिकॉप्टर के जरिए मौके पर पहुंचाया गया.
>> 7.45 बजे: कमांडो ने 3 आतंकियों को ढेर कर दिया.
>> 8.30 बजे: मिशन पूरा हुआ.
>> हमले के वक्त कैंप में 3500 से 4000 जवान मौजूद थे.
>> आर्मी में लंगर 2.30 बजे काम करना शुरू कर देता है. कुक और बाकी जवान, जिनकी खाना बनाने की ड्यूटी थी, वो लंगर में काम कर रहे थे. उनके अलावा कुछ जवान सोए हुए थे.
>> हमले के बाद आग और गोलीबारी की आवाज सुन सब मौके पर भागे.
जवानों के रिप्लेसमेंट की इन्फॉर्मेशन लीक होने की आशंका
>> कैंप में 10 डोगरा रेजीमेंट के जवानों को रिलीव किया जा रहा था. उनकी जगह 6 बिहार रेजीमेंट के जवान भेजे जा रहे थे.
>> ऐसा माना जा रहा है कि आतंकियों को पहले से ही तैनाती बदलने के बारे में पता था.
>> इस दौरान आने वाले फौजी हालात समझ रहे होते हैं, जबकि जाने वालों का ध्यान अपनी रिप्लेसमेंट पर रहता है.