नई दिल्ली: लोग अक्सर मज़ाक में एक फिल्मी डायलॉग दोहराते रहते हैं, एक मच्छर . लेकिन अगर मामला एक कुत्ते का हो और दूसरी तरफ महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी हों . आप तरह तरह के डॉयलॉग्स की कल्पना कर सकते हैं लेकिन यहां मामला कुछ अलग मोदी जी की महिला एवं बाल विकास मंत्री आजकल कुत्तों और महिलाओं और बच्चों की लड़ाई में कुत्तों के साथ हैं. परेशान बच्चे और महिलाएं एक के बाद एक जगह चक्कर लगा रहे हैं लेकिन बीच में मेनका गांधी नमूदार हो जाती हैं. भले ही वो पूरे देश की मंत्री हों लेकिन कुत्तों का मामला हो तो हमेशा फुरसत में रहती हैं.
कुत्तों के चक्कर में मेनका गांधी का ताज़ा टकराव गाज़ियाबाद की मेयर से हुआ है. दर असल गाज़ियाबाद की सभी पॉश कॉलोनियों में आजकल कुत्तों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चल रहा है. इस अभियान की शुरुआत आदित्य मेगासिटी से हुई. यहां आवारा कुत्तों का एक गैंग है जो जब चाहे किसी महिला या बच्चे को घेरकर दौडाता है और बुरी तरह घायल कर देता है. इस अभियान में पूरे ट्रांस हिंडन के लोग शामिल हो चुके हैं और बड़े स्तर पर हस्ताक्षर अभियान चल रहा है.
गाजियाबाद के मेयर ने अभियान को देखते हुए सोचा कि क्यों न एक्शन लिया जाए. उन्होंने तुरंत एक एनजीओ को बुलाया और कहा कि इन कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. इत्तफाक से एनजीओ मेनका गांधी का निकला. वैसे भारत में ज्यादातर सरकारी विभागों और निगमों में जानवरों से जुडा ठेका मेनका के एनजीओ के पास ही है. मेयर का आदेश मिलते ही मेनका गांधी के कर्मचारी उनसे उलझ गए. पहले भी मेनका गांधी अभियान चला रहे लोगों से फोन करके झगड़ चुकी थीं.
तो हुआ ये कि मेयर साहब को एनजीओ ने साफ मना कर दिया कि हम कुत्तों को नही पकड़ेंगे. ज्यादा नोक झोक हुई तो मेनका गांधी ने खुद मेयर का नंबर मिला दिया. फिर क्या था मेनका गांधी ने मेयर को दनादन बातें सुनानी शुरू कर दीं. सुना है कि मेयर साहब ने भी जमकर जवाब दिया. अब नगर निगम दूसरे एनजीओ की तलाश में है ताकि मेनका गांधी की नाक भी बच जाए और कुत्तों से लोगों की टांग भी.
इस मामले पर मेनका गांधी ए एनजीओ पीएफए के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दे रहे हैं. उनका कहना है कि कुत्ते किसी को नहीं काटते. इसके उलट इन कटखने कुत्तों के बारे में अखबारों तक में खबरें छप चुकी है.