पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नवंबर में होने वाली सार्क बैठक को स्थगित किया जा रहा है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बीबीसी ने उर्दू सेवा के संवाददाता शहज़ाद मलिक से बातचीत का हवाला देते हुए ये बात कही है. बीबीसी के मुताबिक पाकिस्तान के विदेश मंत्री का कहना था- ”हमें नेपाल ने ये जानकारी दी है कि भारत और तीन अन्य देशों ने सार्क बैठक में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है इसलिए अब हम ये बैठक स्थगित कर रहे हैं. ”
इस्लामाबाद में होने वाली सार्क बैठक के स्थगित होने की आशंका जताई जा रही थी क्योंकि भारत ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया था.
बुधवार को भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान और अफ़ग़ानिस्तान ने भी पाकिस्तान में इस्लामाबाद में होने वाली सार्क शिखर बैठक में हिस्सा नहीं लेने का फ़ैसला किया था.
इसकी पुष्टि सार्क देशों की अध्यक्षता कर रहे नेपाल के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जाबिंद्र प्रसाद दयाल ने बीबीसी नेपाली सेवा से की. उन्होंने बताया है कि अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान और भारत ने आधिकारिक तौर पर बैठक में भाग नहीं लेने की जानकारी दी है.
इस्लामाबाद में ये बैठक नौ-दस नवंबर को प्रस्तावित है. सार्क शिखर सम्मेलन, दक्षिण एशिया के आठ देशों के राष्ट्राध्यक्षों की होने वाली बैठक है. जो हर दो साल में आयोजित होती है.
लेकिन नेपाल को उम्मीद है कि तय समय पर बैठक होगी. नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड के विदेश मंत्रालय सलाहकार डॉ. ऋषिराज अधिकारी ने बीबीसी नेपाली सेवा से कहा, “नेपाल सरकार सार्क के सदस्य देशों से बैठक के बारे में बात कर रही है. हमें उम्मीद है कि प्रस्तावित बैठक होगी और क्षेत्रीय गठजोड़ आगे बढ़ेगा.”
भारत ने सबसे पहले क्षेत्रीय सहयोग और चरमपंथ एक साथ नहीं चल सकता है, कहकर बैठक में हिस्सा लेने से इनकार किया था.
KN के संपादक की टिप्पणी –
मामला गुस्से का है और भारत के साथ कुछ दोस्तों के दोस्ती निभाने का भी है लेकिन एक बात समझ से परे हैं कि सार्क सम्मेलन न तो पाकिस्तान का आयोजन था न ही पाकिस्तान के हितों की बात थी. इस सम्मेलन को रोककर भारत कैसा संदेश देना चाहता है. इससे बेहतर तो ये होता कि भारत सार्क सम्मेलन में जाता और पाकिस्तान की आतंक विरोधी गतिविधियों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करता. सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने से पाकिस्तान का कैसे नुकसान होगा ये बाकई समझ आने वाली बात नहीं है. इससे अगर किसी का नुकसान होगा का दक्षिण एशिया के देशों के बीच के आपसी सहयोग के कदमों का होगा. अगर फायदा होगा तो उन देशों का जो इन देशों को एक होते देखना नहीं चाहते.
inputs from BBC.com