कॉर्पोरेट मामलों के डीजी रहे बीके बंसल उनकी पत्नी और दोनों बच्चों की सुसाइड के मामलें में दिल्ली पुलिस की जमकर खिंचाई हो रही है. बीके बंसल सात पन्ने का सुसाइड नोट लिखकर गए थे जिसमें सीबीआई के हाथों बुरी तरह उनके और उनके परिवार के थर्ड डिग्री टॉर्चर की बात थी.
इसके अलावा बीके बंसल ने अपने सुसाइड नोट में बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह के नाम का भी जिक्र किया था. माना जा रहा है कि इसी वजह से पुलिस ने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की है. जानकारों का कहना है कि जब पुराने सभी टॉर्चर के मामलों में दिल्ली पुलिस रिपोर्ट लिखने में ही नहीं बाकी सभी मामलों में मुस्तैदी दिखाती रही है तो अब उसका रवैया ढीला क्यों हैं. दिल्ली पुलिस आम आदमी पार्टी के विधायकों को तो बहाने ढूंढ ढूढकर गिरफ्तार करती रही है लेकिन इस मामले में तो एक इनसान का मृत्युपूर्व बयान भी सुसाइड नोट में दर्ज है फिर भी पुलिस की ढिलाई क्यों.
लंदन के अखबार डेलीमेल की वेब साइट ने मेल टुडे की एक खबर प्रकाशित की है. इस खबर में साफ कहा गया है कि दिल्ली पुलिस इससे पहले अपने ही अफसरों पर सख्त कार्रवाई की है. अगर उसी तरह इस मामले में एक्शन होता है तो सीबीआई के पांच बड़े अफसर नप सकते हैं. दिल्ली पुलिस की दलील है कि जांच पूरी होने के बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है लेकिन इससे पहले का इतिहास बताता है कि सुसाइड नोट में नाम आने के बाद पुलिस ने जांच में ऐसी कोई देरी कभी नहीं की.