नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने आय घोषणा योजना के तहत केवल चार महीनों में सवा पैसठ हज़ार करोड़ की के काले धन को सफेद बना दिया. इससे गलत तरीके से पैसा बनाने और टैक्स चोरी करने 65 हज़ार लोगों की मौज हो गई है. अरुण जेटली के मुताबिक चार महीनों में 64,275 लोगों ने 65,250 करोड़ की दो नंबर की कमाई की घोषणा करके उस नंबर एक का बना लिया. आयकर विभाग ने 16 हजार करोड़ रुपये लेकर लोगों के धन को सफेद घोषित कर दिया’ इससे पहले भी भारत में सरकारे लोगों को तरह तरह की योजनाएं लाकर काले धन को सफेद करने के मौके देती रही हैं. अपने धन की जानकारी देने वालों से सरकार आय का ज़रिया भी नहीं पूछती और उनका नाम भी गुप्त रखती है. बड़ी संख्या में दो नंबर की कमाई करने वाले नेता और दलालों के लिए ये स्कीमें फायदे मंद साबित होती हैं.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बाकायदा काले को सफेद करने की इच्छा रखने वालों के लिए प्रधान आयकर आयुक्तों को 30 सितंबर को आधी रात तक काउंटर खोले ताकि घरेलू आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत लोगों को अपने काले धन की घोषणा करने में सुविधा का फायदा ले सकें. घोषणा के आखिरी दिन कैबिनेट सचिवालय के नॉर्थ ब्लॉक स्थित सीबीडीटी के ऑफिस में देर रात तक काम चलता रहा.
समय सीमा समाप्त होने के दो घंटे पहले ही कर्मचारी घोषित कालेधन के आंकलन में जुट गए थे. सीबीडीटी चीफ रानी सिंह नायर और राजस्व सचिव हसमुख अधिया के निर्देशन में चार महीने में घोषित किए गए कालेधन के मूल्यांकन के लिए दिल्ली और मुंबई के वरिष्ठ इनकम टैक्स अधिकारी आधी रात के बाद तक काम करते रहे.
इस योजना को लेकर आशंका थी कि क्या इस बार 1997 में एचडी देवेगौड़ा के कार्यकाल में वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा चलाए गए घरेलु आय घोषणा योजना के तहत घोषित हुए 33 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा पार हो सकेगा. उस दौरान चार लाख से अधिक लोगों ने अपनी बेहिसाब संपत्ति का ब्योरा दिया था. इसकी तुलना में पिछले साल विदेशों में जमा कालेधन के रूप में केवल 4164 करोड़ रुपये की घोषणा हुई थी, जिससे टैक्स के रूप में केवल 2428 करोड़ रुपयों की प्राप्ति हुई थी.