झारखंड के हजारीबाग के बड़कागांव में किसानों और आदिवासियों ने सरकार को अपनी ज़मिन देने से मना कर दिया. सरकार ने राजी राजी बहुत मनाने की कोशिश की नहीं माने तो फिर जबरदस्ती का सहारा लिया. सरकार ने लोगों से वसूले गए मोटे टैक्स के बूते बनाई अपनी ताकत का मुजाहिरा किया और सरकारी गोलियों से 4 लोग मारे गए. दो की मौत बाद में हुई. ये संख्या पुलिस के प्रवक्ता द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित है. राज्य के पुलिस प्रवक्ता एमएस भाटिया ने चार लोगों के मरने की पुष्टि की है.
इस घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव है. लोग दुबारा कोई गड़बड़ी न करें इसलिए हज़ारीबाग के पुलिस उपमहानिरीक्षक वहां कैंप कर रहे हैं. एक्स्ट्रा पुलिस फोर्स भी भेजी जा रही है.
इस घटना में बीस से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. इनमें हज़ारीबाग के अपर पुलिस अधीक्षक, बड़कागांव के अंचलाधिकारी समेत पुलिस के कई जवान शामिल हैं.
टकराव में घायल हुए अफसरान की हालत ज्यादा न बिगड जाए इसलिए राज्य मुख्यालय से हेलीकॉप्टर भेजकर उन्हें रांची लाया गया, जबकि दर्जन भर अन्य घायलों का इलाज हज़ारीबाग ज़िला अस्पताल में ही किया जा रहा है.
बड़कागांव के ग्रामीण नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन के प्रोजेक्ट के लिए ज़मीन अधिग्रहण और खनन के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं. कांग्रेस की स्थानीय विधायक निर्मला देवी और उनके पति योगेंद्र साव पंद्रह सितंबर से शुरू इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं.पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक यह घटना तब हुई, जब विधायक निर्मला देवी को गिरफ़्तार कर कड़ी सुरक्षा के बीच हज़ारीबाग लाया जा रहा था.
तब रास्ते में कांडीकला के पास उग्र ग्रामीणों ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर कथित रूप हमले कर दिए और ग्रामीणों की भीड़ विधायक को पुलिस की गाड़ी से उतारकर अपने साथ ले गई. इसके बाद पुलिस हरकत में आई उसने इन लोगों पर महिला पुलिसकर्मियों से बदसलूकी का आरोप भी लगाया. सरकार का बुलंद कायम रहे इसलिए लोगों को लाठियां चलाकर काबू करने की कोशिश की, लेकिन भीड़ और भड़क गई
पुलिस का कहना है कि एनटीपीसी के खनन कार्य रोक दिए जाने के बाद हज़ारीबाग के डीसी और एसपी स्थानीय लोगों से बात करने बड़कागांव गए थे, लेकिन वे लोग कुछ सुनने को तैयार नहीं थे.
पुलिस का कहना है कि 28-29 सितंबर को विधायक के नेतृत्व में ग्रामीणों ने एनटीपीसी की कई मशीनें रोक दी और खनन का काम ठप करा दिया. इसके बाद कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने स्थानीय थाने में दो प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
इस बीच पूर्व मंत्री और विधायक निर्मला देवी के पति योगेंद्र साव ने कहा है कि पुलिस को ये बताना चाहिए कि धरने पर बैठीं विधायक को बल पूर्वक अहले भोर गिरफ्तार करने की क्या जरूरत पड़ी, हकीकत यह है कि खेती की जमीन देने के लिए लोग तैयार नहीं हैं बदले में सरकार के इशारे पर प्रशासन निर्दोंष लोगों पर गोलियां बरसा रहा है.