जम्मू-कश्मीर के इलाक़े में नियंत्रण रेखा जिन हरे भरे पहाड़ों से होकर गुजरती है, उन्हें देख कर किसी को भी भ्रम हो सकता है. नियंत्रण रेखा को ही दोनों मुल्कों – भारत और पाकिस्तान के बीच व्यावहारिक तौर पर सीमा रेखा माना गया है.पहली नज़र में देखने पर ये निहायत ही शांत और बेहद सुंदर लगे. लेकिन भारत और पाकिस्तान, दोनों ही तरफ थोड़ी-थोड़ी दूर पर सेना के चेक प्वाइंट्स बने हुए हैं. इस इलाके में सेना का नियंत्रण बहुत कड़ा है. सेना की निगरानी के बग़ैर पत्रकारों को आसपास कहीं फटकने भी नहीं दिया जाता है. पाकिस्तानी सेना बीबीसी की टीम को उन दो जगहों पर ले गई, जिसके बारे में भारत ने दावा किया है कि उसने वहां ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ किए हैं – बागसर और तत्ता पानी.
भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के दावे के ऐलान के फ़ौरन बाद ही पाकिस्तानी सेना ने इसे सिरे से ख़ारिज कर दिया था. पाकिस्तानी सेना का कहना था कि भारत अपनी मीडिया को ‘भ्रम में डालने की’ कोशिश कर रहा है.अपने दावे को साबित करने के लिए पाकिस्तानी सेना स्थानीय और विदेशी मीडिया को उन जगहों पर ले गई.पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ़्टिनेंट जनरल असीम बाजवा ने कहा, “हम आपको यहां लेकर आए हैं ताकि आप ख़ुद वस्तुस्थिति देख सकें.”
पाकिस्तानी सेना भारत की ओर से हमले की बात से इंकार नहीं कर रही है. लेकिन उसका कहना है कि ये रूटीन था, जो इस इलाक़े में होता रहता है, भारत का सर्जिकल स्ट्राइ का दावा झूठ है.
उन्होंने पत्रकारों को नियंत्रण रेखा पर वह जगह भी दिखाई, जहां सीमा पार से गोलाबारी हुई. हालांकि वो बार-बार कहते रहे कि वे तो सीमा पार से बग़ैर किसी उकसावे के होने वाली गोलाबारी का जवाब भर दे रहे हैं.
लेफ़्टिनेंट जनरल बाजवा ने कहा, “जब नियंत्रण रेखा बन गई और युद्ध विराम हो गया, उसी समय से सीमा के दोनों ओर से फ़ायरिंग होती रही है.” पर वे इस बात पर अडिग थे कि किसी भारतीय सैनिक ने सीमा पार कर पाकिस्तानी ठिकानों पर हमला नहीं किया.
यह बात दूसरी है कि ख़बरों में कहा गया है कि एक भारतीय सैनिक भूल से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गया है. उन्होंने कहा, “सैनिक ग़लती से सीमा पार तो करते ही रहते हैं. इसके लिए हमने एक प्रक्रिया तय कर रखी है. हम उनकी पहचान सुनिश्चित कर लेते हैं और उन्हें वापस भेज देते हैं. इसमें हमें थोड़ा समय लगता है.” उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए निचले स्तर पर दोनों पक्षों में बात चल रही है.
हाल की झड़पों से दोनों देशों के बीच तनाव बढने का ख़तरा पैदा हो गया है. ऐसा उन ख़बरों के बाद हुआ, जिनमें कहा गया है कि भारत में सीमा पर सेना का जमावड़ा बढ़ रहा है और गांव खाली कराए जा रहे हैं.
लेकिन लेफ़्टिनेंट बाजवा कहते हैं, “पाकिस्तान हमला शुरू करने के मूड में बिल्कुल नहीं है. वह भी ऐसे समय जब पश्चिमी सेक्टर के क़बाइली इलाक़ों में तालिबान चरमपंथियों के ख़िलाफ़ सेना का अभियान चल रहा है.”
वो कहते हैं, “यह निहायत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि हम वहां से अपनी सेना हटा कर पूर्वी सेक्टर में ले आएं. ”
बीबीसी संवाददाता के मुताबिक जब वो दूसरी जगह जाने की तैयारी करने लगे तो हमारे साथ चल रहे एक दूसरे वरिष्ठ अफ़सर ने कहा कि यदि वाक़ई कोई ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ हुई होती तो मौतो की तादाद ज़्यादा होती और काफ़ी नुक़सान हुआ होता. लेकिन वहां मौतें कितनी हुई थीं ये जानने का कोई उपाय हमारे पास नहीं था. हम तो वही देख पा रहे थे, जो हमें दिखाया जा रहा था.
तत्ता पानी बेहद खूबसूरत जगह है, जहां पाकिस्तान प्रशासित इलाक़े में रहने वाले नागरिकों और भारतीय सैन्य ठिकानों के बीच एक नदी बहती है. बीबीसी संवाददाता- मैं यहां बरकत अली ख़ान से मिली, वो गांव में एक दुकान चलाते हैं.
हमारे अग़ल-बगल फ़ौज़ियों को देख उनके चेहरे पर किसी तरह की शिकन नहीं आई.उन्होंने कहा कि तनाव बढ़ने का उनपर और उनके परिवार पर बुरा असर पड़ता है. उन्होंने भारतीय सेना की चौकियों को तो नहीं देखा है, पर वो जानते हैं कि वहां ऐसी चौकियां बनी हुई हैं. उन्होंने कहा, “भारत की ओर से होने वाली गोलाबारी से हमारे कामकाज और हमारी ज़िंदगी पर बुरा असर पड़ता है, पर हमें इसका डर नहीं है. हम यह जगह कभी नहीं छोड़ेंगे.”
पाकिस्तानी सेना यह संकेत देने की कोशिश कर रही है कि कि सब ठीकठाक है. लेकिन जैसा कि हर बार तनाव के बाद होता है वही डर अब भी बना हुआ है, परमाणु हथियारों से लैस दो मुल्कों के बीच हालात बहुत बिगड़ जाने का.