ये खबर थोड़ी तीखी है और तल्ख है. लेकिन बिसहड़ा में फिर से आग लगाने की तैयारी चल रही है. जेल में बंद अखलाक की हत्या के आरोपी रॉबिन उर्फ रवि की मौत के बाद गांव में हिंदूवादी नेताओं ने डेरा जमा लिया है और वो लगातार यहां के गांववालों को बदला लेने के लिए उकसा रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी सांसद साध्वी प्राची यहां गांव वालों को कह रही हैं कि वो मौत का बदला लें. रवि उन 14 लोगों में से था जो बीफ के शक में अकलाक की हत्या के आरोप में जेल काट रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रवि को डेंगू हुआ था और बाद में उसकी दिल्ली की एलएनजेपी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. जब से रवि का शव आया है उसे गांव में एक जगह रख दिया गया है और हत्या के इस आरोपी के तबूत को बाकायदा तिरंगे से ढंक कर रखा गया है. गांव वाले पूरे 3 दिन से ज्यादा होने के बावजूद रवि का अंतिम संस्कार करने को तैयार नहीं है.
इस इलाके में रोज पंचायत होती है जिसमें कई हिंदूवादी नेता भड़काऊ भाषण देते हैं. डर के कारण इलाके के कई मुसलमानों के गांव छोड़कर चले जाने की भी खबर है.
‘द हिन्दू’ अखबार ने भी अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि बिसाहड़ा के मुस्लिम परिवारों में भय और दहशत का माहौल है। हालांकि प्रशासन उन्हें कड़ी सुरक्षा मुहैया करा रहा है लेकिन कुछ भी अनहोनी की आशंका उनके मन में घर कर रही है। ‘द हिन्दू’ ने गांव के मौलवी दाऊद के हवाले से लिखा है कि प्रशासन मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मुहैया करा रहा है, बावजूद इसके लोगों में विश्व हिन्दू परिषद का खौफ है और लोग गांव छोड़कर जा रहे हैं।
रविन ही मौत होने के बाद से ही इस मसले पर हिन्दूवादी संगठनों ने वहां डेरा डाल रखा है। विहिप नेता साध्वी प्राची भी दो दिनों से वहीं जमी हुई हैं। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों की आरोपी साध्वी ने वहां विरोध कर रहे लोगों को संबोधित किया है और रविन सिसोदिया की मौत का बदला लेने के लिए लोगों को उकसाया है। पुलिस की मौजूदगी में ही कपिल भाटी नाम के एक अन्य स्थानीय नेता ने भी हिन्दुओं को सिसोदिया की मौत का बदला लेने का आह्वान किया है। केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा भी आँदोलन कर रहे लोगों का हौसला पहुंचाने यहां आ चुके हैं,
दहशत इतनी ज्यादा है कि यहां तैनात इलैक्ट्रानिक मीडिया की टीमें चौकस तो हैं लेकिन खबरों के प्रसारण से डर रही हैं. लाइव टेलीकास्ट की इजाजत किसी को नहीं है. हजारों ग्रामीणों ने हत्या के आरोपी और जेल में बीमार होने के कारण मारे गए रवि को शहीद करार देते हुए उसके ताबूत पर गांव वालों ने तिरंगा बिछा दिया है.
गांव वाले सरकार से एक करोड़ रुपये के मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही ग्रामीण अखलाक हत्याकांड में नामजद सभी 17 लोगों को तुरंत रिहा करने की भई मांग की जा रही है। इसी कांड में नामजद 22 वर्षीय रविन सिसोदिया की मौत मंगलवार को किडनी और श्वसन तंत्र फेल हो जाने से हो गई थी। इस बीच गांव में विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं और गोरक्ष दल के लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है।
गौरतलब है कि बीमारी के बाद रविन को पहले उसे नोएडा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। गांववालों का आरोप है कि रविन और उसके साथ तीन और आरोपियों की जेल में पिटाई की गई है, जिसके बाद रविन को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। आपको बता दें कि रविन अखलाक की हत्या के आरोप में जेल में बंद था। पिछले साल सितंबर में मोहम्मद अखलाक की हत्या बीफ खाने के शक में उग्र भीड़ ने पीट-पीटकर कर दी थी।
जानकारों का कहना है कि इस इलाके में सांप्रदायिक राजनीति की जड़ें काफी गहरी है और गांव वालों की मांगें ऐसी है कि उन्हें पूरा नहीं किया जा सकता . जाहिर है उत्तरप्रदेश के चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए ये तनाव अच्छी खासी भूमिका पैदा कर सकता है.