सर्जिकल स्ट्राइक के बाद दुनियाभर में अलग-थलग पड़ रहे पाकिस्तान ने पैंतरेबाजी करते हुए अमेरिका में दो विशेष राजनयिकों की तैनाती की है और उसे भारत के खिलाफ अमेरिकी समर्थन हासिल करने की जिम्मेदारी सौंपी है. उन दोनों राजनयिकों से कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाने को कहा गया है. राजनयिकों को कश्मीर में मौजूदा हालात और घाटी में कथित मानवाधिकार उल्लंघन की ओर वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित करने की जिम्मेदारी दी गई है.
इन राजनयिकों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है कि “अगर वो बलूचिस्तान की बात करेंगे तो पाकिस्तान भी खालिस्तान, नगालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम और माओवादी उग्रवाद की बात करेगा.” इसके अलावा उन्होंने कहा, “हम ऐसा करना नहीं चाहते हैं क्योंकि यह पड़ोसी राष्ट्र के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने जैसा है लेकिन जरूरत पड़ी तो जैसे को तैसे जवाब देना पड़ेगा.” इसके साथ ही सैयद ने कहा कि सीमा पर शांति बहाली के लिए पाकिस्तान हिन्दुस्तान से हर मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है. गौरतलब है कि 18 सितंबर को उरी में सेना के कैम्प पर हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों के सात कैम्पों को ध्वस्त कर दिया था. इसके बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है.
पाक राजनयिकों ने अमेरिका को यह चेतावनी भी दी कि यदि कश्मीर और भारत के संबंध में पाकिस्तान के विचारों को तवज्जो नहीं दी गई तो वह चीन, रूस और ईरान का रुख करेगा. पाकिस्तानी अधिकारी वाशिंगटन डीसी में भारत के उन आरोपों के खिलाफ ढोल पीट रहे हैं जिसमें हिन्दुस्तान ने कहा था कि पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों को रोकने में नाकाम राष्ट्र रहा है, परमाणु उत्तेजना का प्रदर्शन करता है और एक राष्ट्र के रूप में अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में पिछड़ सा गया है.
कश्मीर मुद्दे पर नवाज शरीफ के विशेष दूत मुशाहिद हुसैन सैयद को अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंकों में शामिल ‘अटलांटिक काउंसिल’ में चर्चा के समापन पर यह कहते सुना गया, “अमेरिका अब वैश्विक शक्ति नहीं है, वह घटती हुई शक्ति है. उसके बारे में भूल जाओ.” सैयद के अतिरिक्त कश्मीर मामले पर एक अन्य दूत शाजरा मंसब कश्मीर में मौजूदा हालात और घाटी में कथित मानवाधिकार उल्लंघन की ओर वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित करने के पाकिस्तानी प्रयासों के तहत इस समय अमेरिका में हैं.
मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा, “काबुल की सड़कों पर शांति और कश्मीर में हिंसा एकसाथ नहीं चल सकती. आप शांति को किसी खास इलाके तक सीमित नहीं रख सकते. किसी एक हिस्से को अलग-थलग नहीं कर सकते हैं. आप काबुल में शांति और कश्मीर में आग नहीं लगा सकते. यह नहीं हो सकता है.” सैयद के सहयोगी शाजरा मंसब ने कहा, “इस वक्त हमारा एकमात्र मकसद है और वह है कश्मीर में शांति बहाली. जबतक यह मुद्दा नहीं सुलझता तबतक वहां शांति बहाली नहीं हो सकती है.” उन्होंने कहा, “भारत-पाकिस्तान दोनों परमाणु हथियारों से लैश पड़ोसी देश हैं. हम कश्मीर मुद्दे पर दोनों पक्षों से शांति चाहते हैं.” सैयद ने कहा, “हम अमेरिका से गुजारिश करते हैं कि वह भारत को कश्मीर में शांति बहाली की दिशा में कदम उठाने को कहे.”