मध्यप्रदेश में के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उनका सिस्टम बेरहमी और जुल्म के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है. इस मामले में आरोप खुद शिवराज सिंह पर है. . आरोप है कि मुख्यमंत्री उन लोगों को शह दे रहे हैं जिन्होंने मानवता के सबसे निचले स्तर पर जाकर एक बेटे को उसकी मां की पेशाब पिलाई और फिर थर्ड डिग्री से डराकर उसी बेटे को अपनी मां से रेप करने पर मजूबर किया. मानवाधिकारों के उल्लंघन का ये सीधा और गंभीर आरोप है.
माामला सीहोर का है है जो भोपाल के नज़दीक ही है. परिवार में माता, पिता, बेटा और 4 नाबालिग बच्चों को पुलिस ने. 15 दिन तक थाने में बंद रखा और टॉर्चर किया. इन लोगों पर झूठा इल्जाम लगाया गया कि इन्होंने अपनी बहू की दहेज के लिए हत्या कर दी है. 15 दिन के टॉर्चर के बाद बहू सही सलामत वापस मिल गई. ये देश का सबसे घिनौना टॉर्चर है और आरोप के छींटे सीधे सीएम के दामन पर हैं.
पूरी कहानी ये है. सीहोर के सिद्दीकगंज में रहने वाली रागिनी (बदला हुआ नाम) के बेटे राजीव(बदला हुआ नाम) की शादी तीन साल पहले भोपाल की लड़की संध्या से हुई थी. शादी के दो साल बाद संध्या अचानक घर से गायब हो गई. इस पर ससुराल वालों ने संध्या के गायब होने की रिपोर्ट सिद्दीकगंज थाने में दर्ज कराई थी. एक दिन अचानक सीहोर पुलिस संध्या के ससुराल पक्ष के सभी लोगों को उठाकर थाने ले आई. इनमें रागिनी की सास रामदेई, पति राजीव और ससुर के अलावा चार नाबालिग बच्चे भी शामिल थे. जानकारी करने पर पता चला कि रागिनी के भाई ने राजीव एवं उसके परिजनों पर हत्या का आरोप लगाया है. रागिनी के भाई बीजेपी के कई बड़े पदाधिकारियों का परिचित है.इस पर पीड़ित परिवार ने भी कानून का सहारा लिया और एक वकील किया.
थाने में रोंगेटे खड़े कर देने वाली प्रताड़ना
पीड़ित परिवार के वकील वीरेंद्र परमार ने बताया कि पुलिस ने राजीव और उसके परिजनों के साथ 15 दिनों तक मारपीट की और उन्हें हत्या का जुर्म कबूल करने के लिए कहते रहे. जब परिवार के सदस्यों ने जुर्म कबूल नहीं किया तो पुलिस ने राजीव को मां रजनी की पेशाब पिलाई और दोनों को थाने में संबंध बनाने के लिए मजबूर किया. जबकि, लापता रागिनी को भोपाल में ही ढूंढ लिया गया है. वो जिंदा है.
पीड़ित परिवार का दर्द
पीड़ित परिवार की महिला ने बताया कि हम सब कहते रहे कि हमने कत्ल नहीं किया है. लेकिन, पुलिस वाले हमारी बात सुनने को तैयार नहीं थे. मेरे पूरे परिवार को बुरी तरह से मारा. एक पुलिस वाले में मेरे बेटे को पेशाब पिलाया और मेरे साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया. मेरे चार छोटे बच्चों के सामने थाने में हम सभी के साथ मारपीट की गई एवं गंदी-गंदी गालियां दी गई. हमें इंसाफ चाहिए, इसके लिए हमने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
इस मामले में सबसे चौकाने वाला रवैया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का है. पीड़ित परिवार के वकील वीरेंदर परमार का कहना है कि उन्होंने आरोपी पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान से शिकायत की. उन्हें लिखित में दिया लेकिन मुख्यमंत्री कार्रवाई नहीं कर रहे. जाहिर है इससे पुलिसवालों को शह मिल रही है. पुलिस डीजीपी और होम मिनिस्टर भी इस मामले पर रहस्यमय ढंग से चुप हैं., किसी की तरफ से अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.
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