बकरीद पर बवाल करने वाले कथित भक्त, अहिंसा का भाषण झाड़ने वाले हिंदुवादी और उग्र लोगों के लिए ये खबर खास तौर पर पढ़ने लायक है. ओडिशा में सरकार के प्रतिबंध और व्यापक जनजागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने के बावजूद रविवार को यहां के मानिकेश्वर मंदिर में वार्षिक “छत्रयात्रा” के दौरान 50 हजार से ज्यादा पशुओं और पक्षियों की बलि दी गई. स्थानीय प्रशासन ने आम लोगों से बार-बार बलि न देने की अपील की थी. एशियन एज की रिपोर्ट है कि प्रशासन द्वारा 15 सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन कैमेरे लगाए जाने के बावजूद दोपहर बाद तक बलि दी जाती रही. भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात होने के बावजूद बलि का कार्यक्रम जारी रहा क्योंकि स्थानीय निवासियों का इसे पूरा समर्थन प्राप्त था. स्थानीय लोगों का कहना था कि बलि पर प्रतिबंध लगाना उनके धार्मिक स्वतंत्रता में दखल देना है. रिपोर्ट के अनुसार इस मौके पर करीब डेढ़ लाख लोग पूजा में शामिल हुए. यात्रा के दौरान देवी के दर्शन करने वालों का तांता लगा हुआ था.
रिपोर्ट के अनुसार 11 प्लाटून पुलिस पूजा स्थल पर तैनात थी. 41 सब-इंस्पेक्टर, 15 इंस्पेक्टर और पांच पुलिस डिप्टी सुपरिटेंडेंट और एक एडिशनल एसपी को त्योहार के दौरान तैनात किया गया था. कालाहांडी के एसपी बृजेश कुमार राय ने कहा, “हमने व्यापक जागरूकता अभियान चलाया था लेकिन मुझे लगता है कि इससे बलि में कमी आएगी.” “छत्र यात्रा” के दौरान देवी को जेनाखाल में सांधी पूजा के बाद भवानीपटना ले जाया जाता है जहां उनका स्थायी आवास है.
“छत्र यात्रा” रविवार को शाम को करीब सवा पांच बजे शुरू हुई थी. यात्रा के दौरान लोग घंटे, घड़ियाल और दूसरे वाद्य यंत्र बजा रहे थे. पारंपरिक नर्तक यात्रा के दौरान पारंपरिक युद्ध कला “घुमरू” का प्रदर्शन करते हैं. हर साल हिंदू महीने अश्विन की अष्टमी तिथि को बलि दी जाती है. देवी के छत्र और दोनों खड्ग को स्थानीय कुंड में धोया जाता है. उसके बाद उसकी पूजा करके यात्रा के साथ वापस लाया जाता है. मनिकेश्वरी मंदिर से जुड़े बुधराजा या वैराब मंदिर में भैंसे की बलि दी जाती है.
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