अगर जानकारों की बात पर यकीन किया जाए तो वरुण गांधी हनी ट्रैप में नहीं बल्कि नागपुर ट्रैप में फंसे हैं. राजनीति के पंडितों का मानना है कि वरुण की अति सक्रियता और राहुल गांधी के साथ बढ़ती नज़दीकी उनके लिए मुसीबत का कारण बनी. इसके पीछे की कहानी हम बाद में बताएंगे पहले जान लीजिए कि वरुण के आसपास घट क्या रहा है. दो दिन से आप खबर में पढ़ ही रहे होंगे कि अमेरिकी व्हिसल ब्लोअर एडमंड्स एलन के आरोपों को लेकर बीजेपी सांसद वरुण गांधी मुश्किल में हैं. और तो और बीजेपी उनके पीछे पिंजरे के तोते यानी सीबीआई को लगाने की तैयारी कर चुकी है.
इस पूरे माहौल के बीच वरुण गांधी सफाई पर सफाई दे रहे हैं लेकिन इनकी कोई सुन ही नहीं रहा. उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई संवेदनशील जानकारी लीक नहीं की. वरुण की मानें तो वे 2004 के बाद से अभिषेक वर्मा से नहीं मिले हैं. लेकिन पार्टी ने उनकी इस बात को भी कही भी किसी भी फोरम पर नहीं उठाया . ऑफिशियल बयान तो दूर सोशल मीडिया सेल ने भी किसी भी तरह की सक्रियता नहीं दिखाई. दूसरी तरफ वरुण गांधी के खिलाफ प्रशांत भूषण ने मोर्चा खोला तो वरुण गांधी ने उनके खिलाफ भी मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी.
वरुण गांधी की इस पूरी छटपटाहट के बीच वकील सी एडमंड्स एलन की प्रधानमंत्री को सीडी और चिट्ठी की टाइमिंग भी गौर करने वाली है. अगर घोटाला हुआ और डिफेंस सीक्रेट्स लीक हुए तो उनका असर किस सौदे पर पड़ा ? अभिषेक ने वरुण से सूचनाएं लेकर उनका क्या किया? एडमंड्स की चिट्ठी इसी समय पर क्यों आई ये सभी सवाल है जो इशारा करते है कि वरुण के मामले में पर्दे के पीछे क्या हो रहा है.
राजनीतिक जानकार और बीजेपी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि वरुण गांधी की घेरा बंदी की वजह राहुल गांधी से उनकी नज़दीकियां हैं. वरुण गांधी न सिर्फ राहुल गांधी से नज़दीकियां बढ़ा रहे थे बल्कि कांग्रेस की गरिमा बढ़ाने वाले बयान भी दे रहे थे. वरुण ने पंडित जवाहर लाल नेहरू की तारीफ करते हुए बयान दिया और कहा कि नेहरू ऐसे ही प्रधानमंत्री नहीं बने बल्कि उन्होंने अपनी ज़िदगी के खूबसूरत 15 साल जेल में बिताए. ये बयान संघ के उस प्रोपगंडा के खिलाफ था जो वो लगातार चलाता रहा है. संघ नेहरू की छवि एक ऐय्याश गैर ज़िम्मेदार और निष्क्रिय प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने की कोशिश में लगा रहता है. वरुण का ये बयान नागपुर की छाती पर सांप लोटने वाले हालात पैदा करने वाला था. इस बीच राहुल गांधी और उनके समर्थक लगातार उन्हें यूपी सीएम के उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करने के लिए दबाव डाल रहे थे. और तो और सड़कों पर होर्डिंग तक लगा दिए गए थे. तमाम समझाइश और चेतावनियों के बावजूद वरुण पीछे हटने को तैयार नहीं थे.
उधर लगातार इस बात के इनपुट मिल रहे थे कि वरुण कांग्रेस पार्टी की तरफ कदम बढ़ाने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि इसी वजह से वरुण को बांधने की ज़रूरत महसूस की गई. अब जब सीबीआई की जांच होगी, एक सीडी होगी, चरित्र से जुडे आरोप होंगे तो वरुण गांधी पूरी तरह कंट्रोल में रहेंगे. सी एडमंड्स एलन पहले भी संघ के लिए राजनीतिक फायदे वाले काम कर चुके हैं , स्कोर्पियन पंडुब्बी केस में उनके बयान पार्टी के फायदे के रहे. वरुण के समर्थक मानते हैं कि एडमंड्स का इस्तेमाल वरुण को फंसाने के लिए किया गया. इस समर्थकों का मानना है कि वरुण के पास अब एक ही उपाय बचा है और वो है खुली बगावत पर उतारू हो जाना. अगर ऐसा होता है तो यूपी की महाभारत और रोचक होने वाली है.