इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन मान लें, सरकार और सुरक्षाबलों की ज्यादती या नक्सल समस्या को सुलझाने के बजाय उलझाने वाली हरकत लेकिन ये सही है कि सुरक्षाबल विद्रोह को दबाने के नाम पर अत्याचार की सारी सीमाएं पार करते रहते हैं. अब सीबीआई की जांच में भी इस पर मुहर लग गी है. सीबीआई का दावा है कि मार्च 2011 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के ताड़मेटला गांव में पुलिस और सीआईएसएप ने 160 घरों को आग लगा दी थई और इसका सारा ठीकरा नक्सलियों के सिर फोड़ दिया था. 5 साल बाद सीबीआई ने इस बात का खुलासा किया है. अगर सीबीआई जांच की ये रिपोर्ट न आई होती तो राज्य पुलिस ने दावा ही सही माना जाता रहता कि ये आग नक्सलियों ने लगाई थी.
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के मुताबिक, जस्टिस मदन बी ठाकुर की बेंच को स्टेटस रिपोर्ट सौंपते हुए सीबीआई ने जानकारी दी कि ताड़मेटला में 160 घर पुलिस के ऑपरेशन के दौरान जले. इस मामले में दाखिल चार्जशीट में सीबीआई ने सात विशेष पुलिस अधिकारियों का नाम लिया है और कहा है कि उसके पास 323 पुलिसकर्मियों और 95 सीआरपीएफ/कोबरा कर्मियों की संलिप्तता का सबूत है. यह आगजनी 11 से 16 मार्च के बीच हुई थी जब फोर्स गश्त पर थी.
सीबीआई ने 26 सलवा जुडूम नेताओं के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किया है, सलवा जुडूम वो नागरिकों का संगठन है जो अक्सर नक्सलियों पर हमले करता रहता है. सलवा जुडूम के पीछे सरकारी हाथ होने की बात भी कही जाती रही है. अब पता चहा है कि सलवा जुडूम ने 26 मार्च 2011 को जब स्वामी अग्निवेश पर भी जानलेवा हमला किया था . ये हमला तब हुआ जब स्वामी अग्निवेश अपने सहयोगियों सहित उन गांवों में जाने की कोशिश कर रहे थे. ये सभी 26 सलवा जडूम नेता छत्तीसगढ़ में बेखौफ हैं क्योंकि उन्हें सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस का जबरदस्त समर्थन मिला हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट ने पांच जुलाई 2011 को मामला सीबीआई को सौंपा था. सीबीआई ने सलवा-जुड़ुम नेता तथा एसपीओ के 35 लोगों पर विभिन्न धाराओँ के तहत मामला दर्ज किया है. सुप्रीम कोर्ट से पीड़ियों को मुआवजा देने का भी आदेश हुआ है. ताड़मेटला, तिम्मापुर और मोरपल्ली गांवों में 11 से 16 मार्च 2011 के बीच फोर्स के जवानों ने गश्त की थी. इसी दौरान इन तीनों गांवों को पूरी तरह आग के हवाले कर दिया गया. याचिकाकर्ता नंदिनी सुंदर ने कहा कि सीबीआई जांच से पुलिस के झूठ का पर्दाफाश हो गया है.