समाजवादी पार्टी के अंदर का बवाल थमने का वक्त नज़दीक आ गया है. अंदरूनी सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक यादव परिवार का समझौता आखिरी दौर में है और मुमकिन है कि कल शाम तक कोई बात बन जाए. समझौता अभी अगर टल रहा है तो उसकी वजह पूरे बवाल के बीच अखिलेश यादव का हाल के घटनाक्रम के बाद आत्मविश्वास का बढ़ जाना हैँ अखिलेश समझौते की जो कीमत चाह रहे हैं वो मुलायम सिंह के लिए फिलहाल देना मुमकिन नहीं है और मुलायम सिंह इससे कम पर मानने को तैयार हो नहीं सकते. हालात ये हैं कि उपर से कठोर दिख रहे मुलायम अंदर से नाम के मुताबिक नरमी बरत रहे हैं और लगातार शिवपाल यादव पर समझौते के लिए दबाव बना रहे हैं.
अखिलेश की तरफ से समझौते की जो शर्तें रखी गईं हैं उनमं सबसे ऊपर है अमरसिंह को वापस वहीं भेजना जहां वो बीच में चले गए थे. मुलायम सिंह अगर ऐसा करते हैं तो सार्वजनिक रूप से उनके लिए ये बेहद अजीब स्थिति होगी क्योंकि अमरसिंह को वो पार्टी में बड़ी ही उम्मीद से वापस लाए थे. दूसरी शर्त शिपवाल यादव के ज़रिए पार्टी में घुसे दागी छवि वाले नेताओं को वापस बाहर का रास्ता दिखाने की है. मुलायमसिंह ऐसा कर नहीं सकते क्योंकि ये थूककर चाटने वाली स्थिति होगी. अखिलेश जानते हैं कि वो समाजवादी पार्टी के अंदर रहें या बाहर ऐसी छवि के लोगों का विरोध करके वो अपनी राजनीतिक साख को बेहतर ही बनाएंगे.
माना जा रहा है कि मुलायम इनमें से कई शर्तों को मानने को तैयार भी हो गए हैं लेकिन वो इसके लिए थोड़ा वक्त चाहते हैं. लेकिन अखिलेश को इस वादे पर भरोसा नहीं है. उन्हें लगता है कि एक बार समझौता होने के बाद बात आई गई हो जाएगी. अभी जो दबाव बना है उसमें वो अपनी सारी मांगे मनवा लेना चाहते हैं.
असली अड़चन समझौते के बीच इसी विश्वास की कमी है. माना जा रहा है कि कल अखिलेश के साथ मुलायम सिंह खुद बात करे. अगर अखिलेश और मुलायम की सीधे बात होती है और शिवपाल उसमें नहीं होते तो कल ही समझौता हो जाएगा क्योंकि इतने बड़े तनाव के बीच भी अखिलेश मुलायम का पूरा लिहाज करते हैं और अगर दोनों आमने सामने हुए तो अखिलेश नहीं कह पाएंगे कि उन्हें अपने पिता पर भरोसा नहीं.