भारत में 5वीं, 6ठीं 7वीं और 8वीं के छात्रों की सुसाइड फिर शुरू होगी ? फिर से मिलेंगे माता पिता की नज़रों में खरे न उतर पाने वाले सुसाइड नोट ?
जी यही कुछ सवाल फिर से जेहन में आने लगे हैं. देश में प्रतिद्वंदिता और प्रतिस्पर्धा की जगह सहकारिता और मिलजुल लक्ष्य हासिल करने की संस्कृति का अंत नज़दीक है. भारतियों को एक दूसरे को नीचा दिखाकर आगे बढ़ने की जो परीक्षा पद्धति अंग्रेज़ दे गए थे वो फिर वापस आ वाली है. दोबारा हर असफलता के लिए मासूम बच्चे दोषी ठहराए जाएंगे और दंड पाएंगे. लंबा अनुभव और मोटी तनख्वाह पाने वाले टीचर्स कभी फेल नहीं माने जाएंगे और अपनी दुनिया में खोये रहने वाले मां बाप सिर्फ ताना मारने और धमकाने तक ही जिम्मेदार होंगे. बेकार हो जाएंगी तारे ज़मीं और थ्री ईडियट्स जैसी फिल्मों से आई जागृति? क्या अब भी जागेंगे नही ंपेेरेन्ट्स
केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की मंगलवार को हुई बैठक में यह तय किया गया कि केंद्र सरकार शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून में संशोधन करेगी. इसमें यह प्रावधान किया जाएगा कि राज्य अपने यहां आठवीं तक फेल नहीं करने के नियम की समीक्षा करने को स्वतंत्र होंगे. यानी जो राज्य चाहेंगे, वे इस नीति को हटा सकते हैं. दो राज्यों को छोड़ कर देश के सभी राज्य इस नीति को बदलने की मांग कर चुके हैं. यानी अब केंद्र सरकार को जल्द ही आरटीई कानून में संशोधन करना होगा और उसके बाद राज्य अपने यहां इस प्रावधान को हटा देंगे. इसके बाद राज्य पांचवीं और आठवीं के लिए राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षा भी आयोजित कर सकेंगे.
दसवीं बोर्ड को फिर से अनिवार्य करने को ले कर हालांकि कोई सहमति नहीं बन सकी. इस बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘राज्य बोर्ड के स्कूलों में तो बोर्ड अनिवार्य है ही. चूंकि यह मसला सिर्फ सीबीएसई स्कूलों का है, इसलिए इस पर मंत्रालय के स्तर पर ही विचार कर फैसला कर लिया जाएगा. यह काम जल्द ही होगा.’ साथ ही बैठक के दौरान यह भी तय किया गया कि पहली क्लास से ही हर क्लास के लिए ‘लक्ष्य’ तय किए जाएं. आरटीई में यह तो तय किया गया था कि सभी क्लास में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि लक्ष्य हासिल हो रहा हो.
लेकिन लक्ष्य को परिभाषित नहीं किया गया था. इसे परिभाषित कर देने के बाद सभी संबंधित पक्षों की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित की जा सकेगी. बैठक में कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी, खेल मंत्री विजय गोयल के साथ ही 21 राज्यों के शिक्षा मंत्री, 28 राज्यों के प्रतिनिधि, केब के अन्य सदस्य, विशेषज्ञ, स्वायत्त संस्थानों के प्रमुख, विश्वविद्यालयों के कुलपति और केंद्रीय मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे.