जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर पूरे देश को साथ लाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने एक बार फिर आंदोलन करने की चेतावनी दी है. लेकिन इस बार वो जंतर
अन्ना ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने हम फौजियों को धोखा दिया है. अन्ना बोले, ‘पंत प्रधान एक तरफ फौजियों की बहादुरी के गुणगान करते हैं लेकिन जब वन रैंक वन पेंशन की बात आती है तो वादा पूरा नहीं करते.’
वन रैंक वन पेंशन लागू न होने के कारण बुधवार को जंतर मंतर पर एक सेवानिवृत फौजी ने आत्महत्या की , जिसे लेकर अन्ना पीएम मोदी पर बेहद नाराज दिखे. सरकार को आंदोलन का इशारा देते हुए उन्होंने कहा कि वन रैंक वन पेंशन को जल्द से जल्द लागू नहीं किया गया तो मैं फिर आंदोलन करूंगा.
अन्ना ने कहा, ‘फौजी सरहद पर देशवासियों को सुरक्षित माहौल देने के लिए दुश्मन से लड़ते हैं, अपनी जान जोखिम में डालते हैं, दुश्मन की गोली सीने पर हस्ते हस्ते सहते हैं, जख्मी होते हैं, अपाहिज की जिंदगी भी बसर करते हैं लेकिन नेता सिर्फ आश्वासन के सिवा कुछ नहीं देते.’
अन्ना ने कहा कि अगर तबीयत ने उनका साथ नहीं दिया, तब भी फौजियों के लिए आंदोलन करना पड़े, तो वो पीछे नहीं हटेंगे.
खास बातें जो अन्ना ने कहीं…
लोकपाल बिल आश्र्वासन देने के बावजूद अभी तक नहीं लाया.
वन रेंक वन पेंशन की मांगें जो थी वो पूरी नहीं , सभी एक्स सर्विसमैन ने आंदोलन करने के बाद भी कुछ बाते अधूरी है जिस पर अण्णा फिरसे जानकारी ले रहे है.
बार बार आंदोलन करना पड़ रहा है ये सही बात नहीं है, सरकार ने जो आश्वासन दिया है वो पूरा करना चाहिए.
सरकार ने वादा किया था के वन रैंक वन पेंशन देंगें लेकिन नहीं पूरा हुआ वादा इसलिए एक निवृत्त फौजी ने खुदकुशी की ये बात बराबर नहीं.
एक तरफ जवानों की तारीफ करती ही सरकार और दूसरी और सेवानिवृत्त जवान पेंशन ठीक नहीं मिलती इसलिये आत्महत्या करता है ये कहा तक बराबर है. ये चिंतावाली बात है.
orop के लिए फौजी भाइयो ने जंतरमंतर पर आंदोलन किया था और जिसके बाद सरकार ने वादे किये , लेकिन ये वादे अधूरे है.
एक जवान सियाचंन के बर्फ में खड़ा होकर देश की रक्षा कर रहा है , दूसरी और लेहलदाक में वो सीमा की रक्षा कर रहा है तो आप लोग बर्फ में दो दिन रहो क्या तकलीफ होती है पता चलेगा , और फौजी कई महीना साल तक बर्फ में रहकर देश की जनता की सेवा करता है.
रेगिस्तान में 50 डिग्री तापमाम में दिनरात रहकर देश की सेवा कर रहे न , ठंडी हवा जहा हम खड़े नहीं रह सकते वहाँ खड़े होकर देश की सेवा करते है. और वो जवान वन रैंक वन पेंशन मांग रहे है तो क्यों नहीं दे रहे हो.
लोकसभा में अधिवेशन के दौरान आप सांसद झगड़ा टंटा में वक्त जाया करते हो और उनको पेंशन कितनी , अपने पैसे से , जनता का पैसा है वो.
सरकार अपने पैसे से खुदकी पेंशन बढ़ा लेते है और कितनी पेंशन , कुछ सीमा नहीं उसकी. और दूसरी और ये सरहद पर तैनात , तकलीफ सहन कर रहा जवान मांग रहा है वह रेंक वन पेंशन, सबके लिए बराबर पेंशन. अगर आपको लगता है तो उधर देखो जो उधर बैठे है नेता काम नहीं करते फिर भी इतनी facilities लेते है, कितनी तंखा , कितनी तंखा बढ़ाते है अपनी मर्जी से और जो जवान इतनी तकलीफ सहन करता है , उसको आप देने के लिए हिचकिचाते है , ये बात बराबर नहीं. हमे तो बराबर नही लगता.
जो देश के सुरक्षा के लिए अपनी जान हथेली पर लेकर कुर्बानी देने को तैयार है सरहद पर , वो आमिर बनना नहीं चाहता, उसका परिवार है , उसके बच्चे है उनका जीवन अच्छा बनाना चाहता है. आज के महगाई में वो कैसा करेंगा.
एक विधवा का पति लड़ते समय शहीद हो गया. उसका पेंशन 3500 रूपया , कैसा होंगा गुजारा एक व्यक्ति और दो बच्चो का ?कभो सोचेंगे इस बारे में और उधर बैठकर लाखो रुपये लेते हो आप समाज का.
नेताओ ने बॉर्डर पर फौजियो के साथ एक सप्ताह बिताना चाहिये सियाचंन के बर्फ में , दिखाओ रहकर फिर समज आएंगे क्या क्या हालत है सियाचंन कि. अण्णा ने बताया के उन्हें अनुभव है बर्फ में रहने का , छे साल बर्फ में रहा, पता है मुझे क्या तकलीफ होती है. नेताओ ने आठ दिन रहना वहां सियाचंन के बर्फ में फिर बोलना उनकी तनखा बढाकर देदो.
आज पुरे अधिवेशन में नेतालोग , जनता का पैसा गवाते हो झगड़ा टंटा करके और इधर जो तकलीफ में ठंडी में बर्फ में , उनको देने में आप हिचकिचाते हो , ये फौजियो का हक़ है ना, वो भिक नहीं मांग रहे.
सरकार ने declare करना चाहिये के वन रैंक वन पेंशन का आजतक क्या क्या किया है. आज कितना पेंशन मिलता है फौजी को जरा बताइये. लोगो को समझ में तो आएंगा , लोगो तो आज पता ही नहीं कितना पेंशन दिया जा रहा है किसको कितना.
Orop के बारे में पहले सरकार ने क्या बाते अधूरी रखी थी और आपने क्या पूरा किया ये जनता के सामने आना चाहिये. लोगो को पता नहीं है उनके दिल में संदेह है इस बात का. जब आप बताएँगे तब निवृत्त फौजी बताएँगे आप ने सही किया या गलत. और अगर गलत है तो सुधार करो.
तबियत ने साथ नहीं दिया तोभी आंदोलन करूँगा, क्यों की समाज के लिए अगर जान भी गयी तो मेरा सौभाग्य होंगा ये मेरी धारणा है.