दिल्ली में बर्ड फ्लू का हल्ला है. चिड़ियों और मुर्गों की इस बीमारी को लेकर पूरा देश हिला हुआ है लेकिन विडंवना देखिए इसी देश में गोरखपुर और आसपास के इलाकों में 420 से ज्यादा बच्चे मारे जा चुके हैं. मौत हर साल होती है और मच्छर से होने वाली बीमारी फैलने से होती है. लेकिन न तो मीडिया पर कोई चर्चा है न हलचल. मरने वालों में अधिकांश संख्या मासूम बच्चों की है. इसमें मऊ, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज और बिहार के ज्यादातर मरीज शामिल हैं.
एक जनवरी से लेकर अब तक सिर्फ मेडिकल कालेजों में इलाज के लिए 1631 मरीज आए. इनमें चौथाई से ज्यादा यानी 25.46 फीसदी बच ही नही सके. विडंबना तो यह है कि ऐसा तब हुआ है जब अस्पतालों में मौजूद चिकित्सक न केवल इसमें विशेषज्ञ हैं, बल्कि उनको करीब चार दशक के इलाज का अनुभव भी है. समग्रता में देखा जाय तो पीड़ितों और मृतकों की संख्या 420 हो गई है. यह संख्या आगे और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.
बीते 24 घंटे में इंसेफ्लाइटिस से पीड़ित 16 और नए मरीज अस्पताल में भर्ती किए गए हैं तो वहीं पांच ने इस बीमारी के चलते दम तोड़ दिया. वहीं अभी भी यहां इलाज करा रहे 74 मासूम जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं.
मौत का आंकड़ा तो आपको पता है लेकिन इस बीमारी से बड़ी संख्या में लोगों को लकवा यानी पैरालिसिस हो रहा है. सरकार इसके आंकड़े ही नहीं रखती.