नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी हो सकता है प्रशांत किशोर से किनारा कर ले. सोनिया कि गैर हाजिरी में आज शुरू हुई कांग्रेस वर्किंग कमिटी यानी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हो सकता है कि कांग्रेस के पंजाब और उत्तर प्रदेश के नेता प्रशांत किशोर को निशाना बनाएं. कार्यकर्ता इस बात से परेशान हैं कि प्रशांत किशोर पार्टी के नेताओं को ठेंगे पर रखते हैं और अपनी मर्ज़ी से काम कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस तरह तो वो पार्टी के दो राज्यों के प्रमुख बना जाएंगे. पहले भी राज बब्बर इस बात पर खुला एतराज जता चुके है कि प्रशांत किशोर पार्टी की तरफ से मुलायम सिंह से मुलाकात कर आए और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को भनक तक नहीं लगी.
सोनिया गांधी प्रशांत किशोर की दखलंदाजी , प्रियंका का नाम घसीटने और पार्टी के कामकाज में घुसने से नाराज है. प्रशांत राहुल की पसंद हैे इसलिए वो इस मामले पर खुद को अलग रखना चाहती है. आज उनके न आने के पीछे कुछ जानकार ये कारण भी बता रहे हैं. प्रदूषण इसलिए बड़ा मामला नहीं है क्योंकि उन्हें एयरकंडीशन माहौल में रहना है जिसमें खतरा न के बराबर है.
दूसरी तरफ प्रशांत किशोर मीडिया के एक हिस्से में कांग्रेस से अलग होने की खबरें प्लांट कराकर पार्टी को दबाव में लेने की कोशिशें कर रहे हैं. सोनिया गांधी प्रशांत किशोर को बिलकुल पसंद नहीं करतीं और उनकी की हरकतों के लिए उन्हें फटकार भी लगा चुकी हैं. सबसे ज्यादा निशाने पर प्रशांत अनाप शनाप खर्च के कारण रहे. प्रशांत किशोर इसे अपने कामकाज में दखलंदाजी मानते हैं.
दरअसल प्रशांत किशोर की टीम पर आरोप है कि वो पार्टी के पैसे को पानी की तरह बहा रही है और हिसाब किताब में खर्चे उतने नहीं होते जितने कि बिल में होते हैं. इस बारे में यूपी के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को काफी जानकारियां पहुंचाई थीं. इस पर भी तुर्रा ये कि जो नेता फंड इकट्ठा करने में जान लगा रहे हैं प्रशांत किशोंर उनको देहले भर भी नहीं पूछ रहे. कांग्रेस के कई बड़े छोटे नेता शुरू से ही प्रशांत किशोर के काम करने के तरीके से नाखुश रहे हैं. उन पर उत्तर प्रदेश हो या पंजाब दोनों जगहों पर स्थानीय नेताओं और कांग्रेस के बड़े नेताओं की अनदेखी करने का आरोप लगाते रहे हैं. दूसरी तरफ बिना पूछे प्रियंका का नाम प्रचार के लिए आने वाले नेताओं की सूची में दिए जाने से भी सोनिया नाराज़ हैं. इस मामले पर भी वो प्रशांत किशोर से तल्खी से बात कर चुकी हैं.
माना जा रहा है कि इन सारे मामलों के बाद प्रशांत किशोर कांग्रेस नेतृत्व को ये बताना चाहते हैं कि वो नाराज़ हैं. प्रशांत पार्टी में अपनी अहमियत दिखाने के लिए कई तरह की हरकतें कर रहे हैं. कांग्रेस से अलग होने की खबर उनकी दबाव बनाने की इसी नीति का नतीजा है. इससे पहले प्रशांत किशोर मुलायम सिंह से मुलाकात करके भी सोनिया को धमकी नुमा संदेश दे चुके हैं.
प्रशांत किशोर ने उत्तर प्रदेश में तालमेल की गुंजाइश तलाशने के लिए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से दिल्ली में मुलाकात की. बताया जा रहा है मुलाकात से उत्तर प्रदेश के पार्टी महासचिव गुलाम नबी आजाद हो से लेकर प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर तक सभी नेता आग बबूला हो उठे. उन्हें इस बात पर आपत्ति है कि प्रशांत किशोर बिना उनसे बात किए या भरोसे में लिए मुलायम सिंह यादव से मुलाकात क्यों की. प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने तो मीडिया में भी बयान दिया कि प्रशांत किशोर बहुत कुशल रणनीतीकार हैं पर किसी अन्य दल से बात करने के लिए पार्टी नेतृत्व ने अधिकृत नहीं किया है.
कांग्रेस से ज्यादा अपने प्रचार में लगी है पीके की टीम!
यही नहीं आरोप ये भी है कि पीके और उनकी टीम कांग्रेस से ज्यादा अपने प्रचार में लगी है. यही वजह है कि पंजाब में चुनावी पोस्टरों में कई जगह कांग्रेस से बड़ा चिन्ह पीके की कंपनी आईपीएसी का नजर आ रहा है. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने पीके के साथ दिक्कतों या उनके कांग्रेस का दामन छोड़ने की खबरों को मीडिया की अटकलबाजी करार दिया है. उधर पीके के करीबी सूत्रों ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ने की खबरों को गलत बताया है.
प्रशांत किशोर के काम काज के तरीकों से खुश नहीं कांग्रेस नेता !
हालांकि हाल में दिल्ली में गुरूद्वारा रक्काबगंज रोड स्थित कांग्रेस के वार रूम में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ बैठक में भी कुछ नेताओं ने सीधे प्रियंका गांधी वाड्रा से कह दिया कि वो प्रशांत किशोर के काम काज के तरीकों से खुश नहीं है. क्योंकि वो और उनकी पूरी टीम स्थानिय और बड़े नेताओं की अनदेखी करते हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस प्रशांत किशोर का दामन छोड़ रहे मगर पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान में अहम भूमिका निभा रही प्रियंका संगठन और प्रशांत किशोर के बीच बनी खाई को पाट पाती है या नहीं.
हालांकि दोनों ही पक्षों इससे मना कर रहे हैं. लेकिन कांग्रेस के अंदर से प्रशांत किशोर को लेकर जिस तरह से विरोध की बातें आती रही है उससे साफ है कि प्रशांत सीधे तौर पर कुछ न कहकर पार्टी को धमकी दे रहे हैं कि वो कांग्रेस को छोड़कर जा सकते हैं. ताकि उन्हें मन के मुताबिक काम करने दिया जाए.