नई दिल्ली: क्या दुनिया धीरे धीरे परमाणु खतरे की तरफ बढ़ रही है ? ये सवाल इस वक्त कुछ खास कारणों से उठ खड़ा हुआ है. परमाणु हथियार पहले भी थे और उनको चलाने वाले भी पहले थे लेकिन परमाणु हथियार चलाने की इच्छाए बड़ी तेज़ी से बाहर सामने आ रही हैं. अफसोस की बात ये है कि अपेक्षाकृत कठोर सोच रखने वाले लोगों के हाथ में परमाणु बम की शक्ति आ गई है.
सबसे पहले बात करते हैं हमारे अपने देश भारत की. सबसे पहले इसलिए कि पर्रिकर का बयान सबसे ताज़ा है. अब तक भारत की नीति शांति समर्थक और युद्ध विरोधी थी लेकिन अब धीरे धीरे वो आक्रामक शैली अपनाने लगा है. सर्जिकल स्ट्राइक जैसी चीज़ो को हटा भी दिया जाए तो भी भारत की मुद्राएं पहले की तरह शांति पूर्ण नहीं रहीं. हमारे रक्षा मंत्री रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के परमाणु बम पर दिए बयान ने विवाद पैदा कर दिया है. पार्रिकर ने गुरुवार को हैरानी जताई कि भारत क्यों नहीं कह सकता कि हम एक ज़िम्मेदार परमाणु शक्ति हैं. उन्होंने कहा कि वह निजी तौर पर मानते हैं कि भारत को परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल नहीं करने संबंधी नीति से अपने आप को बांधना नहीं चाहिए. हालांकि अपने इस बयान के साथ मनोहर पार्रिकर ने इस बात पर भी ज़ोर देकर कहा कि उनके इस बयान से ये मतलब नहीं निकालना चाहिए कि सरकार ने अपनी परमाणु नीति बदल दी है. भले ही पर्रिकर ये कहें लेकिन वो अपनी ये इच्छा ज़रूर जाहिर करते हैं कि भारत को परमाणु हमला करने का मौका चूकना नहीं चाहिए. उनकी ये सोच भले ही निजी हो लेकिन ऐसी निजी सोच के लोगों के हाथ में भारत के परमाणु हथियार हैं.
अब बात करते हैं अमेरिका की
खुद बराक ओबामा कह चुके हैं कि डोनाल्ड ट्रंप इस लायक नहीं हैं कि उन्हें अमेरिका के परमाणु हथियारों का बटन दे दिया जाए. इसके जबाव में ट्रंप ने कहा था “इस्लामिक स्टेट हम पर हमला कर रहा है और आप परमाणु हथियार का प्रयोग नहीं करना चाहते? मैं अपने विकल्प कभी नहीं बंद करूंगा.” मतदान से पहले अमेरिका के दस पूर्व न्यूक्लियर लॉन्च कंट्रोल अफसरों ने एक खुला पत्र लिखकर कहा कि डोनाल्ड ट्रंप पर परमाणु हथियार को लेकर भरोसा नहीं किया जा सकता. उनमें परमाणु हथियार प्रयोग करने के लिए जरूरी “शांत मस्तिष्क, संयम, न्यायप्रियता और कूटनीतिक समझ” नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति का आदेश मिलने के बाद न्यूक्लियर लॉन्च कंट्रोल अफसर ही परमाणु हथियार से हमले की कार्रवाई को अंजाम देते हैं. अब डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीत गए हैं. वो अगले साल जनवरी में बराक ओबामा की जगह लेंगे. इसी के साथ उन्हें दुनिया के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का असीमित अधिकार भी मिल गया है. जाहिर है, अब उनके एक फैसले से पूरी दुनिया में तबाही मच सकती है. लेकिन क्या सचमुच अमेरिकी राष्ट्रपति एक बटन दबाकर कर सकता है परमाणु हमला? आइए हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी हर जानकारी.
पाकिस्तान में हालात नाजुक
पाकिस्तान ने 1998 में परमाणु परीक्षण किया था। देश लगातार इस्लामी चरमपंथ से जूझ रहा है। पिछले दशक में चरमपंथियों ने न केवल नागरिक ठिकानों को बल्कि सैन्य ठिकानों और छावनियों को भी निशाना बनाया है। पाकिस्तान के पत्रकार और रिसर्चर सुल्हरिया ने जर्मनी के ड्यूशे वेले से बातचीत में कहा था कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम बेहद खतरनाक स्थितियों में हैं.
उत्तर कोरिया
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग का हथियार प्रेम और सनक दोनों किसी से छिपे नहीं है. पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कदीर खान ने उत्तर कोरिया की मदद करके उसे बड़ी संख्या मे हथियार दिए हैं. किम जोंग सनक के लिए मशहूर हैं और छोटी सी गलती पर किसी को मौत की सजा दे सकते हैं.