नरेन्द्र मोदी की कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक की मिसाइलें अबतक आम आदमी पर गिर रही थीं और उसे अपनी ही कमाई को हासिल करने के लिए बैंकों की लाइन में लगना पड़ रहा था. लेकिन अब मिसाइल और बम व्यापार और अर्थ व्यवस्था की छाती पर भी गिरने लगे हैं. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक इस वजह से ट्रेडर्स की बिक्री करीब 70 फीसदी तक घट गई है. इसका मतलब होता है कि ट्रेडर्स से मैन्यूफैक्चरर्स की चेन में सभी का कारोबार ठप पड़ा है. अखबार कहता है कि रिटेल स्टोर्स पर खानपान के सामान की बिक्री ही ज्यादा हो रही है.
सबसे खतरनाक ट्रैंड ये है कि लोगों ने अपना पैसा व्यापार से निकाल कर सोने जैसी चीज़ों में लगाना शुरू कर दिया है. बीते चार दिनों में ही 25 टन सोना खरीदे जाने का अनुमान है. लोग अपने 500 और 1000 रुपए के नोट लेकर दुकानदारों के पास जा रहे हैं, देश के विभिन्न शहरों में तय कीमत से अधिक पर सोना खरीदा जा रहा है. सोने में पैसा जाने का मतलब है कि वो तिजोरी में चादर तानकर सोएगा और बाज़ार को अपने हाल पर छोड़ देगा. लोगों का रुझान सोने की तरफ जाने का मतलब है बाज़ार का पैसा व्यापार और रोजगार से हट रहा है. लोग नहीं चाहते कि पैसा कारोबार में लगाएं उसमें जोखिम दिखाई दे रहा है.
मार्केट में मोबाइल फोन को लोगों के उपभोग का सबसे बड़ा इंडीकेटर माना जाता है . मोबाइल की बिक्री बढ़ने का मतलब है कि वहीं दूसरी ओर इस दौरान सबसे कम बिक्री मोबाइल हैंडसेट की हो रही है. इसकी बिक्री में 90 फीसदी की गिरावट आई है. अबतक समृद्ध हो रही ऑनलाइन कंपनियों पर भी नयी मुद्रा का ग्रहण लग गया है. देश की कुछ टेलीकॉम कंपनियों ने छोटे नोटों की समस्या को देखते हुए बिल देने की अंतिम समय सीमा में भी बढ़ोत्तरी की है.
वॉलेट और नॉन बैंकिंग ऑनलाइन पेमेंट 50% बढ़ा
नॉनबैंकिंग ऑनलाइन कंपनियों को फायदा हुआ है. इनके एप डाउनलोड की संख्या में दो गुना तक वृद्धि हुई है. जबकि नॉन बैंकिंग ऑनलाइन पेमेंट में 50% का इजाफा हुआ. पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन और इट्ज कैश के एमडी नवीन सूर्या के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट काे सरकार भी बढ़ाना चाहती है. निश्चितरूप से 500 और 1000 रु.के नोट बंद करने का फायदा हमें मिला है. बीते चार दिनों में नॉन बैंकिंग पेमेंट कंपनियों के कारोबार में 50 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
7700 करोड़ से अधिक का सोना बिका
बीतेचार दिनों में देशभर में सोने की बिक्री औसत दिनों की अपेक्षा तीन गुना से ज्यादा हो रही है. कहीं-कहीं तो आठ गुना तक अधिक वृद्धि हुई है. देश के सबसे बड़े सोना कारोबारी राजेश एक्सपोर्टर्स के चेयरमैन राजेश मेहता ने बताया कि पिछले चार दिनों में 20 से 25 टन सोना लोगों ने खरीदा है. अगर 31 हजार रु. प्रति 10 ग्राम के हिसाब से भी देखें तो चार दिनों में 7,750 करोड़ रु.का सोना हो गया है. बिस्किट और सिक्कों की डिमांड अचानक से बढ़ी है. ज्वैलरी में भी बढ़ोतरी हुई है.
पेट्रोल-डीजल की मांग 5% बढ़ी
देशभरके पेट्रोल और डीजल पंपों पर भी 500 और 1000 के नोट लिए जा रहे हैं. आठ तारीख को पेट्रोल पंप पर लंबी-लंबी लाइन भी देखी गईं, फिर स्थिति सामान्य होती गई. इंडियन ऑयल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीते चार दिनों में हमारी बिक्री में पांच फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है. पेट्रोल टैंक में ही ऑयल दिया जा सकता है ड्रम या कैन में नहीं. इसलिए हमारी बिक्री रुटीन दिनों के अनुसार ही हो रही है. लेकिन सोमवार के बाद पेट्रोल डीजल की खपत भी कम हो जाएगी क्योंकि अभी तक खपत बड़े नोटों पर पेट्रोल डीजल की बिक्री होना है.
मोबाइल और ऑनलाइन शॉपिंग 90% घटी
पैसानहीं होने के कारण लोग मोबाइल और ऑनलाइन शॉपिंग से भी बच रहे हैं. इस संबंध में मोबाइल कंपनी माइक्रोमैक्स इंफोर्मेटिक्स कंपनी के फाउंडर और मेनेजिंग डायरेक्टर राजेश अग्रवाल ने कहा कि पिछले चार दिन से लोग खरीददारी के लिए खुद को तैयार नहीं कर पा रहे हैं. नगदी होने से मोबाइल की बिक्री 90 फीसदी तक कम हो गई है. जहां तक ऑनलाइन बिक्री की बात है तो देश में होने वाली ऑनलाइन बिक्री में 80 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी कैश ऑन डिलेवरी की है, ऐसे में ऑनलाइन बिक्री भी प्रभावित हुई है.
रिटेल स्टोर्स खानपान की चीजें बिक रही हैं
रिटेलस्टोर्स की बिक्री भी पैसा होने के कारण प्रभावित हो रही है हालांकि डेबिट-क्रेडिट कार्ड से पेमेंट हो रहे हैं. इस संबंध में बात करने पर फ्यूचर ग्रुप के प्रमुख किशोर बियानी ने बताया कि हमारे बिग बाजार में शुरुआती दो दिन बिक्री तेजी से घटी, शुक्रवार को बिक्री 15% घटी थी, धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है. अभी अन्य सेक्टर की तुलना में फूड आयटम्स की बिक्री सर्वाधिक हो रही है.
70% घटी छोटी दुकानों पर बिक्री
छोटेकारोबारियों का कारोबार तेजी से प्रभावित हुआ है. खास तौर से किराना और एफएमसीजी सेक्टर का. कंफेडेरेशन ऑफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि खुल्ले पैसों की समस्या गई है. जो नोट मिल रहे हैं उनमें भी 2000 के बड़े नोट हैं. इस कारण लोग अपने घर और आसपास की दुकानों से सामान नहीं खरीद पा रहे हैं. देशभर में छोटे कारोबारियों की करीब 70% बिक्री कम हो गई है. वहीं मॉल में भी कैश से पेमेंट करने में परेशानी है.
20% कम बिक रहे हैं मकान
क्रेडाईके पूर्व प्रेसीडेंट सी. शेखर रेड्डी ने कहा कि सरकार के नियमों के मुताबिक 20 हजार रुपए से अधिक का नगद लेन-देन हो नहीं सकता है इसलिए बिक्री से अधिक घर निर्माण पर असर है, क्योंकि मजदूर आदि का पेमेंट नगद देना होता है. कुछ शहरों में मकानाें की बिक्री 20 फीसदी तक अवश्य गिरी है. लेकिन भविष्य में चूंकि ब्याज दरें कम होने की उम्मीद है इसलिए इस सेक्टर में डिमांड बढ़ेगी. हालांकि कई विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि रियल एस्टेट में 50 फीसदी से अधिक मांग कम हुई है.