RBI को नोट बदलकर देना ही होगा, ब्लैक हो या व्हाइट, जानिए क्या कहता है कानून ?

कानून के जानकारों का कहना है कि नोट बदलने का फैसला सरकार के लिए मुसीबत वाला भी हो सकता है. सिर्फ जनता की नाराज़गी ही नहीं बल्कि कानूनी नज़रिये से भी मोदी का फैसला सरकार के लिए परेशानी भरा हो सकता है. जो पहलू मोदी के लिए परेशानी बन सकते हैं उनको समझने के लिए आप नीचे लिखे बिंदुओं से आसानी से समझ सकते हैं.

  1. करंसी नोट जिसे आप नोट कहते हैं वो दरअसल नोट नहीं, बल्कि प्रॉमिसरी नोट है. प्रॉमिसरी नोट यानी वचनपत्र.
  2. इस वचनपत्र पर रिजर्ववैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं और गवर्नर लिखित में वचन देते हैं.
  3. वचनपत्र की भाषा साफ होती है. हम सबने कभी न कभी पढ़ा होगा.
  4. वचनपत्र में लिखा होता है “मैं धारक को पांच सौ रुपये अदा करने का वचन देता हूं”
  5. इस वचन पत्र का मतलब है कि रिजर्वबैंक आपको वचन देता है कि जो भी ये नोट लेकर आएगा उसे 500 रुपये मिलेंगे.
  6. इस प्रॉमिसरी नोट में दिए गए वचन का मतलब है रिजर्वबैंक का वचन और ये सीधे सीधे रिजर्वबैंक की साख से जुड़ा मामला है.
  7. अगर आपने वचन दिया है तो आपको पूरा करना चाहिए. इससे कोई फर्क नहीं पडता कि वो काला धन है या सफेद.
  8. काला सफेद बगैरह सरकार के मुहावरे हैं जो कि करचोरी से जुडे हुए हैं. कर वंचना करके आपने जो धन जमा किया है उसे काला धन कहते हैं.
  9. रिजर्वबैंक स्वतंत्र संस्ता है और वो सरकार के कानून से चलती है कानून को संसद में पास कराना होता है. सरकारी हुकुम से रिजर्वबैंक नहीं चलता.
  10. अगर रिजर्व बैंक अपना वचन नहीं निभाता तो आप भारत में दूसरे प्रॉमिसरी नोट्स की कानूनी हैसियत की कल्पना कर सकते हैं
  11. देश में कई तरह के प्रॉमिसरी नोट मिलते हैं हुण्डियां और वचन पत्रों के आधार पर अरबों के लेनदेन होते हैं.
  12. अगर भारत का रिजर्वबैंक अपना वचन तोड़ देता है तो फिर एक गलत परंपरा बन सकती है.

 

कानून के हिसाब से केन्द्रीय रिजर्वबैंक को अपना वचन निभाना हो होगा . सरकार रिजर्वबैंक को अपने इशारों पर नहीं नचा सकती. ये अलग बात है कि वो रिजर्वबैंक का मुखिया ऐसे लोगों को बना देती है जो सत्ताधारी पार्टी का हुकुम बजाने लगता है. रिजर्व बैंक के कर्मचारी इस पूरे घटना क्रम से शायद इसीलिए नराज़ हैं और हड़ताल पर जाने की योजना बना रहे हैं.