जिस रफ्तार से एटीएम कैलिब्रेशन का काम चल रहा है उससे लगता है कि सभी एटीएम के चालू होने में सरकार को तीन महीने से ज्यादा लग सकते हैं. देश में करीब दो लाख 20 हज़ार एटीएम हैं . इनमें से सात दिन में कुल 15 हज़ार एटीएम ही ठीक किए जा सके हैं. अगर इसी रफ्तार से एटीएम ठीक करने का काम होता है तो रोज़ 2000 एटीएम मशीन ही ठीक हो सकेंगी. यानी दो लाख 20 हज़ार मशीनें ठीक करते करते देश बैंकों को कम से कम 110 दिन लगेंगे. इसमें छुट्टियां और दूसरी चीज़ें शामिल नहीं हैं.
बदलाव किए गए एटीएम भी अभी तक सिर्फ बड़े शहरों के हैं. लेकिन जब काम गांवों या दूरदराज के इलाकों में जाकर किया जाएगा तो और अधिक वक्त लगेगा. बता दें कि शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि एटीएम में बदलाव के काम में 2 से 3 हफ्ते लग सकते हैं, लेकिन बैंक अधिकारियों का कहना है कि यह उतना भी आसान नहीं है और इस काम में उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
इस काम से जुड़े एक सूत्र ने बताया, “एटीएम में recalibration करने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों में बदलाव करना पड़ता है. वहीं पूरे देश में इस काम के लिए सिर्फ 3000 तकनीशियन लगाए गए हैं. इसके अलावा कई जगहों पर एटीएम में पैसे डालने का काम भी होने लगता है, जिससे काफी समय बर्बाद होता है. देश में अभी तक करीब 15000 या कहें तो 7-8 फीसदी एटीएम में ही बदलाव हो पाया है.” अभी तक जिस-जिस एटीएम को 2000 और नए 500 रुपए के नोट निकालने के लिए तैयार किया गया है, उनमें अभी तक सिर्फ 100 रुपए के नोट ही डाले जा रहे थे.
बैंक अधिकारियों का कहना है कि बदलाव के बाद अब एक और चुनौती सामने आ गई है. अब एटीएम लगभग दो घंटे में ही खाली हो जाता है और उनमें फिर से पैसे डालने पड़ते हैं. दरअसल एक एटीएम में एक बार में सिर्फ 2.5 लाख रुपए तक की रकम डाली जा सकती है और यदि यह 2000 रुपए के ही नोट होंगे तो सिर्फ 125 नोट ही डल सकते हैं. बता दें कि एटीएम में दो और पांच हजार नोट करेंसी रखने के लिए जरूरी बदलाव जरूरी है. नए नियम के मुताबिक एटीएम से एक दिन में प्रतिकार्ड 2500 रुपए निकाले जा सकते हैं, लेकिन यह सुविधा बदलाव किए गए एटीएम में ही मिलेगी.