नई दिल्ली: पूर्व विनिवेश मंत्री अरुण शौरी ने कहा है कि नोट बंदी का फैसला ठीक वैसा साहसिक फैसला है जैसा कुएं में कूदनेा होता है. 500 और 1000 रुपये में नोटों पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि ‘इसका उद्देश्य अच्छा हो सकता है, लेकिन ये काम बिना सोचे समझे किया गया’. जब उनसे पूछा गया कि क्या यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक साहसिक और क्रांतिकारी कदम था, तो उन्होंने कहा कि ‘कुएं में कूदना भी क्रांतिकारी और बड़ा कदम होता है, खुदकुशी करना भी क्रांतिकारी कदम होता है.’ अगर आप एक शुरुआत करना चाहते है तो कर प्रशासन में सुधार के साथ शुरुआत करनी चाहिए.
पूर्व मंत्री शौरी ने कहा कि ‘उन्हें नहीं लगता कि नोटबंदी का कदम कालाधन या करमुक्त धन की समस्या से निजात दिला पाएगा. जो लोग काला धन या काली संपत्ति रखते हैं, वे उसे कैश में नहीं रखते. वे अपना धन गद्दे के नीचे रखने नहीं जा रहे. वे इन्हें विदेशों में रखते हैं और डॉलर में भी नहीं, बल्कि बोरों में रखते हैं. यह संपत्ति, गहनों, शायद अन्य परिसंपत्तियों में हो सकती है, जिसमें बारे में हमें नहीं पता, शायद शेयर बाजारों में भी हो सकती है’
एनडीटीवी के साथ एक विशेष साक्षात्कार में शौरी ने कहा कि सरकार ने जिस 85 प्रतिशत भारतीय मुद्रा को हटाने के लिए ये कदम उठाया था, उससे उपजने वाली इन समस्याओं का अनुमान नहीं लगाया था.
उन्होंने कहा कि ‘छोटे और मध्यम उद्यमों, परिवहन क्षेत्र, पूरा कृषि क्षेत्र… छह लाख गांवों तक नहीं पहुंचा जा सकता’. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ‘उन्होंने इस बारे में नहीं सोचा? यह एक बड़े विचार से दूर किया जा रहा है, एक आत्म-छवि में हो रहा है कि मुझे कुछ सर्जिकल स्ट्राइक करना है’.