द इकोनॉमिक एंड पोलिटिकल वीकली (ईपीडब्ल्यू) और द कारवां पत्रिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता शाइना एनसी को ई-मेल भेजकर सहारा समूह से कथित तौर पर घूस लेने के मामले में सवाल पूछे हैं. ईपीडब्ल्यू के संपादक परनजॉय गुहा ठाकुरता की रिपोर्ट के अनुसार आयकर विभाग ने 22 नवंबर 2014 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में स्थित सहारा समूह के कई ठिकानों पर छापा मारा था. रिपोर्ट के अनुसार इन छापों के दौरान मिले दस्तावेज में इस बात के संकेत मिलते हैं कि सहारा समूह ने साल 2013-2014 में देश के कई प्रमुख राजनेताओं को नकद राशि दी थी. इन दस्तावेज के अनुसार कथित तौर पर नरेंद्र मोदी, शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह, शीला दीक्षित और बीेजेपी प्रवक्ता शाइना एनसी को करीब 75 करोड़ रुपये दिए गए थे. इन नेताओं को ईमेल से सवाल 17 नवंबर को भेजे गए थे. 21 नवंबर को दोपहर 12 बजे तक किसी भी राजनेता ने ईपीडब्ल्यू के ईमेल का जवाब नहीं दिया था.
रिपोर्ट के अनुसार इन दस्तावेज पर आयकर विभाग (इन्वेस्टिगेशन) की डिप्टी डायरेक्टर अंकिता पाण्डेय के हस्ताक्षर हैं. गवाह के तौर पर सहारा समूह के एक प्रतिनिधि ने भी इन दस्तावेज पर दस्तखत किए हैं. अंकिता पाण्डेय ने ईपीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि वो इन दस्तावेज के सही या गलत होने की पुष्टि नहीं कर सकतीं क्योंकि वो मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं. इन दस्तावेज के अनुसार “सीएम गुजरात” को 30 अक्टूबर 2013 से 29 अक्टूबर 2013 के बीच 15.1 करोड़ रुपये चार किश्तों में किसी “जायसवाल जी” द्वारा दिए गए. वहीं 30 अक्टूबर 2013 से 22 फरवरी 2014 तक आठ किश्तों में अहमदाबाद में किसी “जायसवाल जी” ने “अहमदाबाद मोदी जी” को कुल 35.1 करोड़ रुपये दिए. दस्तावेज के अनुसार “अहमदाबाद मोदी” को 28 जनवरी 2014 को पांच करोड़ रुपये दिए गए. यानी “सीएम गुजरात,” “अहमदाबाद मोदी जी” और “अहमदाबाद मोदी” को कुल 55.2 करोड़ रुपये दिए गए. दस्तावेज से ये स्पष्ट नहीं है कि “सीएम गुजरात” और “अहमदाबाद मोदी जी” के नाम से जो भुगतान बताए गए हैं वो अलग हैं या कुछ भुगतान दोनों जगह दर्ज हैं. अगर ये मान लें कि एक ही भुगतान दो जगह लिखे गए हैं तो भी नौ किश्तों में इन व्यक्तियों को 40.1 करोड़ रुपये सहारा के अधिकारी ने दिए थे.
इन दस्तावेज के अनुसार साइना एनसी को 10 सितंबर से 28 जनवरी 2014 के बीच में कथित तौर पर पांच करोड़ रुपये दिए गए. शीला दीक्षित को 23 सितंबर 2013 को कथित तौर पर एक करोड़ रुपये दिए गए. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को 29 सितंबर 2013 से एक अक्टूबर 2013 के बीच कथित तौर पर दो किश्तों में 10 करोड़ रुपये दिए गए. छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह को एक बार में चार करोड़ रुपये दिए गए. 15 नवंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधान सभा में आयकर विभाग द्वारा आदित्य बिरला समूह की कंपनियों में मारे गए छापे में मिले कथित दस्तावेज के हवाले से आरोप लगाया कि कंपनी ने 15 अक्टूबर 2013 को “गुजरात सीएम” को 12 करोड़ रुपये दिए थे. केजरीवाल के अनुसार आयकर विभाग द्वारा जब्त दस्तावेज में लिखा है, “गुजरात सीएम-25 करोड़ (12 डन- बाकी?” लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने केजरीवाल के लगाए आरोपों को गलत बताया है.
ईपीडब्ल्यू ने दावा किया है कि इन दस्तावेज की फोटोकॉपी इस समय दिल्ली के एक दर्जन से ज्यादा पत्रकारों और करीब इतने ही सरकारी अधिकारियों के पास मौजूद हैं. केवी चौधरी को जून 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) नियुक्त किया था. कॉमन कॉज नामक एनजीओ और कई अन्य प्रतिष्ठित नागरिकों ने उसी चौधरी और सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन की नियुक्ति को “संस्थागत शुचिता” के आधार पर चुनौती दी थी. परंजॉय गुहा ठाकुरता कॉमन कॉज एनजीओ के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं. चौधरी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान ही कॉमन कॉज ने एक अंतरिम याचिका दायर करके 15 नवंबर 2016 को ये दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में जमा किए. इस मामले में कॉमन कॉज के वकील और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने इससे पहले अक्टूबर में ये दस्तावेज सीबीआई, इनकम टैक्स, सीबीडीटी और ईडी समेत नौ सरकारी महकमों को भेजा था. ctsy-Iansatta